नई दिल्ली । कोरोना वायरस की वजह से देश भर में हुए लॉकडाउन के बीच कुछ दुकानदार जबरदस्त चांदी काट रहे हैं। इस दौरान आम उपयोग की चीजें, जो खुली मिलती हैं, वह तो महंगी बिक ही रही हैं, एमआरपी लिखी हुई पैक वस्तुओं की भी कीमत अधिकतम खुदरा मूल्य से बहुत ज्यादा वसूली जा रही है।
लोकल सर्किल में देश के 244 जिलों में लॉक डाउन के एक महीने से भी ज्यादा समय के दौरान किए गए एक सर्वे से पता चला है कि 39 फीसदी लोगों ने इस दौरान पड़ोस के दुकानदारों को एमआरपी से ज्यादा कीमत चुका कर सामान लिया। ग्राहकों का कहना है लॉकडाउन में कोई उपाय नहीं है। बहुत दूर जा भी नहीं सकते। बाजार भी नहीं खुला है कि वहां से सामान ले आएं। इसलिए मजबूरी में महंगा सामान खरीदना मजबूरी है।
इस इस दौरान यह भी पता चला है कि कुछ ऑनलाइन एप भी अधिकतम खुदरा मूल्य से ज्यादा कीमत पर सामान बेच रहे हैं। हालांकि इनकी स्थिति पड़ोस के दुकानदार से बेहतर है। लोकल सर्किल के सर्वे में शामिल 21 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि कुछ ई कॉमर्स एप ने उन्हें एमआरपी से ज्यादा मूल्य पर पैक किया हुआ सामान बेचा है। साहिबाबाद गांव में रहने वाले संतराम का कहना है कि पड़ोस के दुकानदार उनसे हर चीज की ज्यादा कीमत वसूल रहे हैं।
आम दिनों में खुली सूजी 32 या 35 रुपए किलो मिलती है और इस समय उसे 40 रुपए किलो बेचा जा रहा है। इसी तरह खुला मैदा 28 और 30 रुपए किलो बिकता है और इस समय 32 और 35 रुपए किलो बेचा जा रहा है। आटे की भी यही स्थिति है, उसकी भी कीमत बढ़ गई है। ये सब तो हुईं खुली चीजें, लेकिन पैकेज्ड आइटम जिस पर एमआरपी होता है, वह भी ज्यादा कीमत पर बेचे जा रहै हैं। आज सुबह खाने वाले सोडा का एक पैक लिया तो वह 10 रुपए में मिला। जबकि उस पर एमआरपी 5 रुपए लिखा था। जब यह बात दुकानदार से कही तो उसने सामान रख लिया और बोला जाओ कहीं और से ले लो। दूसरी दुकान खुली नहीं है, इसलिए 5 रुपए का सामान 10 रुपए में लेना पड़ा।
रीजनल नार्थ
लॉकडाउन में हर सामान एमआरपी से ज्यादा मूल्य पर बेच रहे दुकानदार, ग्राहकों की हो रही लुटाई