नोएडा । घातक कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में फंसे यूपी के मजदूरों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। इन फंसे कामगारों के लिए यूपी सरकार की हेल्पलाइन में 24 घंटे के अंदर महाराष्ट्र से 97,754 कॉल आए। इन नंबरों पर फोन करने वाले इन मजदूरों ने उन्हें वापस बुलाने को कहा। इसके अलावा, दिल्ली की हेल्पलाइन में 45 हजार कॉल आए। मजदूर उस वक्त और बेचैन हो गए जब उन्होंने देखा कि हरियाणा के विभिन्न शहरों से कई बसें वहां के मजूदरों को लेने आई थीं। इन बसों में फंसे हुए उनके प्रवासी मजदूरों को उनके शहरों में भेजा जा रहा था। हेल्पलाइन कॉल में बढ़ोत्तरी और कॉल करने वाले लोगों की संख्या, सहयोगियों, परिचितों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों के आधार पर इन लोगों को गृहनगर वापसी बड़ी चुनौती है। अकेले मुंबई और एनसीआर के लिए परिवहन की व्यवस्था करने में बहुत मुश्किल होगी, क्योंकि यहां फंसे मजदूरों की संख्या काफी है। संख्याएं बताती हैं कि हरियाणा की तुलना में यूपी के सामने बहुत बड़ी चुनौती है।
अनुमान है कि प्रत्येक क्षेत्र में अभी भी 10 लाख लोग फंसे हो सकते हैं जो अपने गृहनगर वापस जाना चाहते हैं। यह आश्रय गृहों की क्षमता, स्थानीय प्रशासन, राज्य समन्वय समूहों के आकलन और कॉल के आधार पर अनुमान निकाला गया है। अधिकारियों का कहना है कि डुप्लीकेट कॉल को हटा दें तब भी जो संख्या है वह ओवरलैप हो सकती है। फंसे लोगों को निकालने के लिए पड़ोसी राज्यों, खासकर बिहार और मध्य प्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के निवासी भी शामिल हैं।
मंगलवार को उत्तर प्रदेश ने आधिकारिक तौर पर सभी राज्यों से उन लोगों के डेटा को साझा करने के लिए कहा, जो 14 दिनों से अधिक शेल्टर होम और क्वारंटाइन सेंटरों में रह रहे हैं। क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आई हो। बड़ी संख्या में होने के कारण, एनसीआर और एमएमआर से प्रवासी श्रमिकों को 3 मई से पहले वापस लाए जाने की संभावना नहीं है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'दिल्ली-एनसीआर और महाराष्ट्र बड़े चिंता वाले क्षेत्र हैं और यहां के लिए रणनीतिक बनाने की जरूरत है।' दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद बड़े आर्थिक केंद्र हैं। यहां कई फैक्ट्रियां हैं। दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से लोगों को निकालने के नोडल अधिकारी नरेंद्र भूषण ने कहा, 'अकेले नोएडा में यूपी के अन्य जिलों के एक लाख प्रवासी कामगार हैं। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 10 लाख लोग यूपी और बिहार को खाली कराना चाहते हैं। इनमें दिल्ली से यूपी के पांच लाख लोग, एनसीआर के कुछ हिस्सों से 25 फीसदी और अन्य 25-30 फीसदी लोग बिहार के शामिल हैं।
रीजनल नार्थ
लॉकडाउन- महाराष्ट्र में फंसे यूपी के श्रमिक परेशान, 24 घंटे में हेल्पलाइन में आए 1 लाख फोन