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लॉकडाउन: बड़े, बुजुर्ग के स्वभाव में आ रहा बदलाव -बच्चों में आ रहा गुस्सा, चिड़चिड़ापन 

लॉकडाउन: बड़े, बुजुर्ग के स्वभाव में आ रहा बदलाव -बच्चों में आ रहा गुस्सा, चिड़चिड़ापन 

नई दिल्ली । कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन में लगातार घर में रहने के कारण लोग ज्यादा तनावग्रस्त महसूस कर रहे हैं। सिर्फ बड़े और बुजुर्ग नहीं बल्कि बच्चों के स्वभाव में भी लॉकडाउन के कारण बड़ा बदलाव आया है। बच्चों के स्वभाव में गुस्सा, चिड़चिड़ापन देखा जा रहा है। माता-पिता का गुस्सा, बात-बात पर उनकी टोका-टाकी के कारण बच्चों के स्वभाव में गुस्सा देखने को मिल रहा है।यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के कारण बच्चों में तनाव, चिंता का भाव ज्यादा बढ़ गया है। ऐसा इसलिए भी हुआ है क्योंकि बच्चों के स्कूल, पार्क, डांस क्लास, ट्यूशन सभी बंद हैं। बच्चे इस वक्त न तो दोस्तों से मिल पा रहे हैं और न ही किसी तरह की एक्टिविटी में हिस्सा ले पा रहे हैं, जिसके कारण उन पर मानसिक दबाव पड़ रहा है। 
यह वक्त बच्चों के साथ अच्छा समय बिताने का है। न कि उन पर बात-बात पर गुस्सा जाहिर करने का। माता-पिता को यह बात समझनी होगी कि बच्चों को बात-बात टोकना नहीं है बल्कि प्यार से समझाना है। प्यार से समझाने से बच्चा जल्दी समझता है और उसके दिमाग में कोई भी नेगेटिव इमेट क्रिएट नहीं होती है। लॉकडाउन के कारण माना की माता-पिता के पास ऑफिस और घर दोनों का काम ज्यादा हो गया है। हालांकि आपको ये भी समझना होगा कि आपको बच्चों के साथ भी समय बिताना है। दिन में कम से कम एक घंटा बच्चों के लिए निकालें। उनसे पूछें कि वो क्या करना चाहते हैं। बच्चों के साथ थोड़ा समय खेलने के लिए भी निकालें। बच्चा अगर चिड़चिड़ा हो रहा है तो उसे पॉजिटिव तरीके से समझाएं, उसके इस बदल व्यवहार की वजह तलाशने की कोशिश करें। 
बच्चों को अपने दोस्तों से बातचीत करने के लिए मोबाइल, इंटरनेट आदि के प्रयोग पर रोक न लगाएं। माना की लॉकडाउन के कारण बच्चा घर से बाहर नहीं निकल सकता है लेकिन हम इंटरनेट वाले युग में हैं। इसलिए बच्चों को उनके दोस्तों से ऑनलाइन मिलवाइए। दोस्तों के साथ इंटरनेट पर ही बच्चों से कुछ एक्टिविटी करवाएं। ताकि उनका मन बहलें और दिमाग शांत हो। बता दें कि कोरोना वायरस के कारण हम सभी लोग अपने-अपने घरों में बंद हैं। सेहत की सुरक्षा के लिहाज इस वक्त यही करना सही रहेगा। यह शायद पहला मौका है जब लोग इतने लंबे तक घर पर ही हैं और परिवार के साथ 4 दीवारी में रह रहे हैं। हालांकि लंबे समय तक घरों में रहने के कारण लोगों की मानसिक स्थिति पर इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
 

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