नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में दर्ज प्राथमिकी पर वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि कोई भी टीवी पर कुछ भी देख सकता है, आप यह कैसे कह सकते हैं कि लोग टीवी पर ये देखें, ये नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। तब तक गिरफ्तारी नहीं होगी।
ज्ञात रहे कि वकील प्रशांत भूषण ने गुजरात में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सेना के एक रिटायर्ड जवान जयदेव जोशी की शिकायत पर गुजरात के भक्तिनगर पुलिस स्टेशन में वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने और सरकारी आदेशों पर टिप्पणी करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई है।
प्रशांत भूषण ने पिछले दिनों ट्वीट कर कहा था कि जब जबरन तालाबंदी के कारण करोड़ों का नुकसान हुआ तो सरकार दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत धारावाहिकों की अफीम खिला रही है। इस संबंध में पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और नेशनल हेराल्ड अखबार की न्यूज एडिटर एश्लिन मैथ्यू पर राजकोट पुलिस ने 28 मार्च को एक ट्वीट पोस्ट करने या रिट्वीट करने पर मामला दर्ज किया है। पुलिस का आरोप है कि यह ट्वीट लोगों में भय या बेचैनी पैदा करने के इरादे से एक धर्म का अपमान करने के लिए किया गया था।
पुलिस ने कहा कि 12 अप्रैल को भक्तिनगर पुलिस स्टेशन में गोपीनाथन, भूषण और मैथ्यू के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 (किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना), 505 1 (बी) (जनता के बीच भय या बेचैनी पैदा करने का इरादा), 35 (एक जैसे इरादे में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
पुलिस के अनुसार 28 मार्च को भूषण ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा था, ‘जब जबरन लागू किए गए लॉकडाउन के कारण करोड़ों लोग भूखे रहने और सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर हैं तब हमारे बेदिल मंत्री रामायण और महाभारत के अफीम का खुद सेवन करने और जनता को भी सेवन कराने का जश्न मना रहे हैं।'
रीजनल वेस्ट
गुजरात में दर्ज मामले पर प्रशांत भूषण के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर रोक