वैश्विक कोरोना महामारी के भीषण प्रकोप से सारी दुनिया में हाहाकार मची हुई है। भारत सरकार द्वारा देश में आम आदमी की जान बचाने दिनांक 22 मार्च 20 से देश व्यापी लाँकडाउन लगाया है जिसे अब आगामी 17 मई 20 तक बढ़ा दिया है। कोरोना महामारी के प्रकोप में पहला दायित्व है जीवन रक्षक उपायों को कठोरता से लागू करना है।
भारत सरकार ने लाँकडाउन लागू करने का निर्णय लेने से उन गंभीर चुनौतियों का पूर्वानुमान नहीं लगाया जिनका सामना लगभग डेढ़ माह से करना पड़ रहा है।
कोरोना महामारी से बचने लगाये देश व्यापी लाँक डाउन से सबसे ज्यादा देश का मजदूर वर्ग प्रभावित हुआ है। देश में इन गरीब मजदूरों की संख्या लाखों में होगी जो देश के एक छोर से दूसरे छोर पर फंसे हुए हैं। दिनांक 22 मार्च से ही मजदूरों का पलायन जारी है। वे परिवार सहित जल्दी से जल्दी अपने घर पहुंचना चाहते है।
मजदूर मुंबई हो दिल्ली में या सूरत में हजारों की संख्या में सड़क पर आकर प्रदर्शन कर मांग कर रहे है उन्हें उनके घर पहुचाने व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।
मजदूरों की दयनीय स्थिति यह है कि मेरे गृह क्षेत्र राघौगढ़ जिला गुना की ग्राम पंचायत टोडरा में पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक ने मिलकर मजदूर परिवार को स्कूल के शौचालय में कोरन्टाइन कर दिया। मानवीयता तब शर्मशार हो गई उस परिवार को भोजन भी शौचालय में ही उपलब्ध करा दिया।
जब यह अमानवीय कृत्य उजागर हुआ और न्यूज चेनलों व समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रसारित हुआ तो प्रशासनिक अधिकारियों ने आनन फानन में सफाई देकर इस दुखद घटना पर पर्दा डालने का प्रयास किया। राघौगढ़ क्षेत्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक श्री जयवर्धन सिंह का गृह क्षेत्र है। श्री जयवर्धन सिंह ने ट्वीट कर इस घटना को मानवीयता को शर्मसार करने बाली बताया है आपने लिखा है हम चुपचाप नहीं बैठे रहेंगे। साथ ही आपने दोषियों पर कार्यवाही करने की माँग की हैं। पूर्व मंत्री एवं प्रदेश काँग्रेस के मीडिया प्रभारी श्री जीतू पटवारी ने एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने भी मजदूर परिवार को शौचालय में बंद करने की घटना की कड़ी आलोचना की है।अपने आप को गरीबों का मामा कहने बाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इस घटना को कितनी गंभीरता से लेते हैं यह देखना है।
दिनांक 2 मई की घटना है पुलिस ने सुबह इंदौर-उज्जैन सीमा पर पंथ पिपलाई पर चेकिंग के दौरान सीमेन्ट मिक्सर मशीन में महाराष्ट्र से लखनऊ जा रहे 18 लोगों को पकड़ा, इनमें 14 मजदूर तो मिक्सर मशीन में छिपकर बैठे थे। इसी प्रकार एक और घटना दिल दहला देने बाली उजागर हुई है एक मजदूर परिवार एक माह पूर्व बैंगलुरू से चला, बेटा अपनी 90 वर्षीय बृद्ध माँ को साइकिल पर बैठाकर चल रहा है। पत्नी और दो छोटे छोटे वच्चे पैदल चल रहे है पत्नी सिर पर अटेची लेकर चल रही है। दो दिन पूर्व इंदौर तक इन्होंने लगभग 1500 किमी की यात्रा पूरी कर ली थी। यह मजदूर परिवार कोटा राजस्थान जा रहा है।15 मजदूर राजस्थान के सीकर से चलकर लगभग 15 दिन में अपने गृह क्षेत्रआरोंन विकास खंड पहुंचे।
देश के विभिन्न भागों में फंसे मजदूरों को अपने घर पहुचाने विशेष रेल चलाने के नाम पर राजनीति गरमा गई है। मजदूरों से रेल किराया बसूलने की बात पर उदारता का परिचय देते हुए काँग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष श्री मती सोनिया गांधी ने घोषणा कर दी मजदूरों का रेल किराया सभी प्रदेशों में प्रदेश काँग्रेस कमेटी भुगतान करेंगी। काँग्रेस की यह घोषणा के बाद करेंगी। इस घोषणा के बाद सरकार हरकत में आई और घोषणा की है कि मजदूरों से मात्र 15 प्रतिशत किराया बसूला जायेगा, शेष राशि राज्य सरकार वहन करेगी। जिस समय मजदूरों से रेल किराया बसूला गया उस समय सरकार को यह ध्यान नहीं आया। काँग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी का मानवीयता के परिपूर्ण निर्णय स्वागत योग्य है। भारत सरकार एवं राज्य सरकारों की दोहरी नीति है सरकार विदेशों फंसे भारतीयों को लाने एयर इंडिया को आदेश दिया जाता है। कोटा राजस्थान में फंसे अमीरों एवं आला अधिकारियों के वच्चों को लाने सैकड़ों की संख्या में बसें कोटा भेजी जाती है उनकी रास्ते में सुविधाओं का जिला प्रशासन द्वारा ध्यान रखा जाता है। दूसरी ओर मजदूरों को अपने हाल पर छोड़ दिया है और उन्हें कदम कदम पर प्रताड़ित किया जा रहा है। केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा लाँकडाउन का डेढ़ माह निकल जाने बाद भी आज तक नीति निर्धारित नहीं की है। मुंबई हो दिल्ली या सूरत जहाँ हजारों मजदूर अपनी जायज माँग लेकर सडकों पर उतरते है उन पर लाठी चार्ज एवं आँसू गैस के गोले दागकर जहाँ हो वहीं रहो यह आदेश दिया जाता है।
(लेखक -विजय कुमार जैन)
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कोरोना महामारी में देश के मजदूरों की दयनीय स्थिति