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मानव मस्तिष्क की मेमोरी अनलिमिटेड

मानव मस्तिष्क की मेमोरी अनलिमिटेड

कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी और रोचेस्टर यूनिवर्सिटी की संयुक्त रिसर्च में पाया गया है, कि हार्ड ड्राइव की तुलना में मानव मस्तिष्क में डाटा सेव करने की असीम क्षमता है। हार्ड ड्राइव में फोटो भाषा और अन्य स्थान में जो जगह लगती है। उसी तरह मानव मस्तिष्क में शब्दों को स्टोर करने के साथ-साथ कैसे बोलना है, यह भी स्टोर होता है। एक शब्द के साथ दूसरे शब्द के साथ तालमेल बिठाने का भी मानव मस्तिष्क में क्षमता है। जो जानकारी बार बार उपयोग में आती है। मानव मस्तिष्क में उसका डाटा भी सुरक्षित रहता है। जिसका उपयोग नहीं होता है, वह अपने आप मस्तिष्क से डिलीट होता रहता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार इंसान के दिमाग की मेमोरी अनलिमिटेड है। यह कंप्यूटर की हार्ड डिस्क की तरह कभी फुल नहीं होती है। मानव मस्तिष्क उन चीजों को अपने पास हमेशा के लिए रख लेता है। जिनका दिमाग बार-बार उपयोग करता है। शोधकर्ताओं के अनुसार मानव मस्तिष्क में मिड ब्रेन डोपामाइन सिस्टम के कारण यह संभव होता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार एक जैसे उच्चारण वाले 50 शब्द लोगों से बोलने के लिए कहा गया। एक शब्द को स्टोर करने में करीब 15 बिट्स लगे। इसके बाद इंसान के दिमाग की शब्दकोश का परीक्षण किया गया। इसमें एक इंसान ने औसतन 40000 शब्दों का उपयोग किया। जिसमें 4 लाख बिट्स डाटा स्पेस लगने की बात सामने आई है।
जनरल रॉयल सोसायटी ओपन साइंस ने हाल ही में जो शोध प्रकाशित किया है। उसके अनुसार अंग्रेजी भाषा दूसरी भाषाओं के मुकाबले मस्तिष्क में ज्यादा जगह लेती है। शोधकर्ताओं के निष्कर्ष में यह भी कहा गया कि हम वह सीखते हैं। जो हमारे आस पास सुनाई देता है। लेकिन अब तक शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए, कि मानव मस्तिष्क ऐसा किस तरह स्वीकार करता है।

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