नई दिल्ली । इस साल फलों के राजा आम का स्वाद आपकी जेब पर भारी पड़ने वाला है। लॉकडाउन के चलते कीटनाशकों का छिड़काव न होने और आंधी की वजह से करीब 25 फीसदी फसल बर्बाद हो चुकी है। मलिहाबाद का दशहरी आम अपने स्वाद के लिए देश-विदेश में जाना जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में सालाना लगभग 2.2 करोड टन आम का उत्पादन होता है।इसमें, लगभग 20 लाख टन उत्पादन के साथ, पश्चिम बंगाल सबसे बड़े योगदान देने वाले राज्यों में से एक है। लॉकडाउन ने बंगाल में भी आम के पूरे व्यापार को संकट में डाल दिया है। राज्य के आम उत्पादक क्षेत्रों में गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया है।बंगाल भारत के राष्ट्रीय आम उत्पादन में सबसे बड़ा योगदान देता है।बंगाल में करीब लगभग 40 प्रतिशत आम पैदा होता है। बंगाल में मालदा, मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना जैसे जिलों के लोगों की आम से ही रोजी-रोटी चलती है। वहीं लाकडाउन के कारण आम के पेड़ों में दवा छिड़कने के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। इस वजह से लग रहा है कि 50 फीसदी ही आम की पैदावार होगी। वहीं, सरकार ने किसानों को बीज और कीटनाशक खरीदने के लिए लॉकडाउन से छूट तो दी है लेकिन अब काफी देर हो चुकी है। इसके अलावा बाजार बंद होने से कीटनाशक मिल भी नहीं रहे हैं। पिछले 10-15 दिन में कई बार तेज आंधी आने से आम की फसल बर्बाद हो गई है। इस साल करीब 25 फीसदी नुकसान हुआ है। फसल का बीमा न होने से बागान मालिकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
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कोरोना के कारण फलों के राजा आम का बिगड़े स्वाद, 25 फीसदी फसल बर्बाद हो चुकी