चुनावी सीजन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और माकपा नेता सीताराम येचुरी की मुसीबत बढ़ गई है। ठाणे की एक अदालत ने पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड से आरएसएस को जोड़कर उसे बदनाम करने के आरोपों पर जवाब देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी को 30 अप्रैल को अदालत के सामने पेश होने को कहा है। सिविल मानहानि मामले में राहुल गांधी और येचुरी से क्षतिपूर्ति के तौर पर प्रतीकात्मक रूप से एक रूपए की मांग की गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विवेक चंपानेरकर का दावा है कि दोनों नेताओं ने लंकेश की हत्या से जोड़कर आरएसएस को बदनाम किया है। मामले की सुनवाई कर रहे सिविल जज जेएस भाटिया ने राहुल और येचुरी को समन जारी करने का आदेश देते हुए उन्हें अदालत में पेश होने के लिए कहा।
अदालत में दायर अपनी याचिका में चंपानेरकर ने कहा है कि हिंसा की किसी भी घटना के लिए आरएसएस को दोषी ठहराना राहुल और येचुरी की आदत है और इसे रोके जाने की जरूरत है।चंपानेरकर के वकील आदित्य आर मिश्रा ने कहा कि उनके मुवक्किल ने पिछले सप्ताह दोनों नेताओं के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी।
आरएसएस की मानहानि को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ़ दर्ज मामले में पिछले साल जून 2018 में भिवंडी की अदालत में आरोप तय हो चुके हैं। मानहानि की धाराओं के तहत राहुल पर आरोप तय किए गए हैं। इससे पहले पेशी के दौरान राहुल गांधी ने ख़ुद को बेक़सूर बताया था। आरएसएस के ख़िलाफ़ कथित टिप्पणियों को लेकर राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि के केस में मजिस्ट्रेट अदालत में उनकी पेशी हुई है।
संघ के एक कार्यकर्ता ने मार्च 2014 में आपराधिक मानहानि का मुक़दमा दर्ज कराया था। भिवंडी की कोर्ट पर आरोप तय होने के बाद कोर्ट से बाहर निकलकर राहुल गांधी ने उस वक्त मीडिया से कहा था, सबसे अमीर लोगों की सरकार चल रही है। उन्होंने कहा कि हमारे जो युवा हैं उसके पास रोजगार नहीं है। रोजगार, किसानों और मंहागई के बारे में मोदी सरकार चुप है। उन्होंने कहा कि तेल और मंहगाई बढ़ रही है लेकिन सरकार कुछ नहीं कह रही है और मेरे ऊपर लोग आरोप लगाते रहते हैं।
नेशन
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल और माकपा नेता येचुरी की बढ़ी मुसीबत, कोर्ट ने जारी किया समन