पठानकोट । पंजाब में लीची उत्पादकों को लाकडाउन के कारण भारी नुकसान होता दिखाई दे रहा है, क्योंकि लाकडाउन लागू होने से उनके बगीचों की बोली के लिए ठेकेदार अभी नहीं आए हैं। उत्तरप्रदेश सहित बाहरी राज्यों के ठेकेदार, सामान्यत: इस मौसम में पंजाब आकर किसानों को पेशगी देकर बगीचे का फल आरक्षित कर लेते थे। किसानों का उनका इंतजार है। पिछले साल भी पंजाब में लीची उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ था,जिसमें फल को गंभीर एंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) रोग से प्रभावित बताया गया था। उस समय, लीची की कीमत बहुत कम हो जाने के कारण किसानों को भारी घाटा हुआ था। पंजाब में, मुख्य रूप से लीची की दो किस्में देहरादून और कलकत्ता ज्यादा मिलती हैं। प्रदेश में करीब 1,100 किसानों ने कुल लगभग 3,000 एकड़ जमीन में लीची के बाग लगा रखे हैं। ये बाग मुख्यत: पठानकोट, गुरदासपुर, होशियारपुर और रोपड़ जिलों में हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि एक एकड़ में लीची के 48 पेड़ लगाते हैं और प्रत्येक पेड़ से मौसम में लगभग 50 से 100 किलोग्राम लीची होती है। पठानकोट के बागवानी विकास अधिकारी जतिंदर सिंह ने कहा कि इस साल बहुत अधिक पैदावार हुई है, लेकिन पिछले साल की तरह, किसानों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, लीची की तोड़ाई 10 जून से 25 जून तक चलती है। पंजाब की अधिकांश लीची दिल्ली और मुंबई के बाजारों में बेची जाती है, जहां से इस अन्य राज्यों और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहित कुछेक देशों को निर्यात किया जाता है। जतिंदर ने कहा, हम व्यापारियों, बिचौलियों और कमीशन एजेंटों और बाहर के मजदूरों के लिए जल्द ही पास जारी करने वाले हैं, ताकि किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो।’’
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लॉकडाऊन के कारण पंजाब के लीची उत्पादक मुश्किल में