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कोरोना के चलते महाराष्ट्र के जेलों से रिहा होंगे 17 हजार कैदी  

कोरोना के चलते महाराष्ट्र के जेलों से रिहा होंगे 17 हजार कैदी  

मुंबई, । महाराष्‍ट्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के मद्देनजर जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए करीब 50 प्रतिशत कैदियों को अस्‍थायी रिहाई देने का फैसला किया है। दरअसल राज्य सरकार ने एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति को नियुक्त किया था. जिसने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राज्य की जेलों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से करीब 50 प्रतिशत कैदियों को अस्थायी रूप से रिहा करने का फैसला किया है. हालांकि समिति ने कैदियों की रिहाई के लिये जेल अधिकारियों के समक्ष कोई समय-सीमा नहीं रखी है. इस समय महाराष्‍ट्र की जेलों में कुल 35,239 कैदी हैं. राज्‍य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि, '17 हजार कैदियों को अस्‍थायी राहत देते हुए टेंपरेरी पेरोल दी गई है। इनमें जेलों में बंद 5 हजार अंडरट्रायल कैदी, सात साल सजा पाए 3 हजार कैदी और इससे ऊपर की सजा वाले करीब 9 हजार कैदी शामिल हैं। ऐसा इसलिए किया गया है कि ताकि बाकी कैदियों में कोरोना का संक्रमण न हो। लेकिन गंभीर अपराध के तहत बंद कैदियों को नहीं छोड़ जाएगा।'
- गंभीर अपराधों के दोषी कैदी नहीं होंगे रिहा 
समिति ने सोमवार को फैसला लेते हुए यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता के तहत गंभीर आरोपों में दोषी ठहराये गए और मकोका, गैर कानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम, धनशोधन (निरोधक) अधिनियम जैसे सख्त कानूनी प्रावधानों के तहत दोषी ठहराये गए कैदियों को अस्थायी जमानत या पैरोल पर रिहा नहीं किया जाएगा. बता दें कि उच्चतम न्यायालय द्वारा मार्च में, कोरोना वायरस के मद्देनजर देश भर की जेलों में भीड़ कम किये जाने की बात कहे जाने के बाद इस समिति का गठन किया गया था. समिति में बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए ए सैयद, राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय चहांडे और महाराष्ट्र के महानिदेशक कारागार एस.एन.पांडेय शामिल थे. 
- ऑर्थर रोड जेल में संक्रमण फैलने के बाद फैसला
समिति ने प्रदेश भर की जेलों से 50 प्रतिशत कैदियों को अस्थायी जमानत या पैरोल पर छोड़ने का फैसला सोमवार को किया. समिति ने कहा, “इससे जेलों में भीड़ कम हो जाएगी और जेल के कुल 35,239 कैदियों में से करीब 50 प्रतिशत को छोड़े जाने की उम्मीद है.” दरअसल मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में 100 से ज्यादा कैदियों और कर्मचारियों के कोविड-19 संक्रमित पाए जाने के बाद समिति का यह फैसला आया है.
- रिहाई से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करें जेल अधिकारी
समिति ने कहा कि जेल अधिकारी कैदियों की रिहाई से पहले तय कानूनी प्रक्रिया का पालन करें. समिति ने कहा कि जो कैदी उन अपराधों में दोषी ठहराये गए हैं या मुकदमे का सामना कर रहे हैं जिनके तहत सात साल तक कैद की सजा का प्रावधान है, वही कैदी अस्थायी जमानत या पैरोल पर रिहा किये जाने के लिये योग्य होंगे. समिति ने अधिवक्ता एस बी तालेकर के उस प्रतिवेदन को भी खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि विशेष कानूनों के तहत दोषी या आरोपी कैदियों को रिहा न करना भेदभावपूर्ण और मनमाना है. समिति ने कहा कि जो कैदी अस्थायी जमानत या पैरोल के हकदार नहीं हैं उन्हें नियमित जमानत के लिये संबंधित अदालत में अर्जी देनी होगी.   
 

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