एक भारत-श्रेष्ठ भारत- एक पावन भावना
नगरिकों में एकता की चेतना की साधना।
अपने भारत की विविधता देखना औं समझना
छात्रों को देती सुअवसर, बनाने शुभ धारणा।
प्रेम बढ़ता है तभी जब परस्पर सम्बंध हो
आपसी आवागमन औं मेल का भी प्रबंध हो।
प्राकृतिक औं सांस्कृतिक छवि लख जगे नई भावना
लोगों से सम्पर्क की उत्पन्न हो शुभ कामना।
भारतीय संस्कृति तो कहती विश्व एक परिवार है
आपसी सद्भाव ही जीवन का सात्विक सार है।
मन ही भाव तरंगों में शुभ स्नेह भाव महान है
जहाँ होता प्रेम वहाँ ही स्वर्ग औं भगवान है।
स्वार्थ की दुर्भावना हर कलह का प्रारम्भ है
प्रेम ही संसार में सुख-शांति का अनुबंध है।
मिल के रहने से सु.ढ़ होती है मन में एकता
सहयोग औं सद्भाव देते है जगत में श्रेष्ठता।
(लेखक-सी. बी. श्रीवास्तव ’विदग्ध’)
आर्टिकल
”एक भारत श्रेष्ठ भारत”