लंदन । मंगल ग्रह को लेकर हुए ताजा रिसर्च से पता चला है कि उसकी पूरी सतह नमकीन गढ्ढों से ढकी हुई है। हालांकि, इन गढ्ढों का तापमान इतना कम है कि वहां मानव जीवन संभव नहीं है। हाल में ही मंगल की सतह पर बर्फ और भाप के रूप में पानी की खोज की गई है। यहां पानी तरल के रूप में नहीं है क्योंकि वातावरण न होने से पानी भाप बनकर उड़ जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, मंगल की मिट्टी में मौजूद एक विशेष प्रकार का नमक ग्रह के पतले वायुमंडल से जलवाष्प को रात में खींच सकती है। इससे यह जलवाष्प अत्याधिक ठंडे वातावरण में बर्फ बनने से बच सकता है। यूनिवर्सिटीज़ स्पेस रिसर्च एसोसिएशन के वैज्ञानिकों ने यह गणना करने के लिए एक कंप्यूटर मॉडल बनाया है। इसकी सहायता से वैज्ञानिक उस तापमान और जलवायु परिस्थितियों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जिसमें जलवाष्प बर्फ न बनकर तरल अवस्था में रहे।
यूनिवर्सिटीज़ स्पेस रिसर्च एसोसिएशन के एडगार्ड रिवेरा, वैलेंटाइन और उनके सहयोगियों ने पाया कि मंगल ग्रह की 40 फीसदी तक की सतह भूमध्य रेखा के नीचे सभी अक्षांशों पर स्थिर नमकीन गढ्ढों को सुरक्षित रख सकते हैं। ये गढ्ढे मंगल ग्रह पर 2 लंबे समय तक टिके रह सकते हैं। नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित पेपर के अनुसार, एक रोवर ने धरती पर मौजूद रोगाणुओं से इन नमकीन गढ्ढों के प्रदूषित होने की जांच भी की थी। जिसका निष्कर्ष निकला कि इससे भी मंगल ग्रह पर मानव जीवन के पनपने की उम्मीद नहीं है।
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नमकीन गढ्ढों से ढकी हुई है मंगल ग्रह की सतह, कम तापमान में मानव जीवन संभव नहीं