मुंबई, । कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लगे लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं प्रवासी मजदूर और गरीब कामगार। दरअसल काम बंद होने से इनके पास पेट पालने का संकट पैदा हो गया है. इसलिए ये प्रवासी मजदूर अपने घर लौटने को मजबूर हैं. केंद्र सरकार इन मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें और बसें चला रही हैं. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया है कि मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए रेल टिकट का 85 फीसदी खर्च सरकार उठा रही है. वहीं महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने इस दावे को खारिज किया है. गृहमंत्री देशमुख ने कहा, 'मैं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की बात से हैरान हूं. जमीनी हालात की जानकारी रखने वाला कोई शख्स भला ऐसा गलत बयान क्यों देगा. मैं आपको बता दूं कि मजदूरों के लिए रेल टिकट में न तो रेलवे मदद कर रहा है और न ही सरकार. पूरा खर्चा राज्य सरकार अकेले उठा रही है.' गृहमंत्री देशमुख ने कहा, 'पहले जो मज़दूर घर गए, उन सभी से भी रेलवे प्रशासन द्वारा पूरा रेल किराया लिया गया. राज्य सरकार ने केंद्र से विनती भी कि थी कि लॉकडाउन में मजदूरों का काम बंद हैं और हाथ खाली हैं. ऐसे में मानवता का ख्याल रखते हुए उनसे किराया नहीं वसूला जाना चाहिए. लेकिन, केंद्र सरकार ने हमारी एक ना मानी. आखिरकार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री सहायता निधि से 54.70 करोड़ रूपये मजदूरों के टिकट खर्च के लिए राज्य सरकार की ओर से दिए.'
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प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने में रेलवे ने नहीं की कोई मदद- गृहमंत्री - मुख्यमंत्री सहायता निधि से दिए गए पैसे