मौजूदा लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग की साख दांव पर लगी हुई हैं। आदर्श आचार संहिता का पालन राजनीतिक दलों की सहमति से तैयार कर इसका पालन करने के लिए कहा गया था। आदर्श आचार संहिता का पालन कराने में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन और लिंगदोह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। टीएन शेषन ने तो चुनाव आचार संहिता को लेकर जिस तरह का शिकंजा कसा था। उससे नेता और अधिकारी परेशान हो गए थे। किंतु आम जनता के बीच में चुनाव आयोग की साख बड़ी तेजी के साथ बढ़ी थी।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं। खुलेआम आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा है। चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर अब लोगों में चर्चाएं हो रही हैं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन और लिंगदोह के समय भी यही आदर्श आचार संहिता थी। आचार संहिता का पालन कराने में पूर्व चुनाव आयुक्त अपनी सारी ताकत झोंक देते थे। 2014 में चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी के नेता अमित शाह और सपा नेता आजम खान के प्रचार पर रोक लगा दी थी। अमित शाह माफी मांग कर चुनाव प्रचार कर पाए वहीं आजम खान ने माफी नहीं मांगी तो वह चुनाव प्रचार नहीं कर पाए थे टीएन शेषन और लिंगदोह के समय में भी ऐसे दर्जनों मामले हैं जब राजनेताओं ही नहीं बल्कि अधिकारियों पर भी चुनाव आयोग ने शिकंजा कसकर निष्पक्ष चुनाव कराने में अहम भूमिका का निर्वाह किया था।
2019 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह की अराजकता फैली हुई है। चुनाव आयोग द्वारा उस पर कोई स्वयं संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कार्यप्रणाली जिस पक्षपात पूर्ण तरीके से काम कर रही है। शिकायत मिलने पर भी पुख्ता कार्रवाई ना होने से लोगों का चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर एक अविश्वास बनने लगा है। कहा जा सकता है 2019 लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग की विश्वसनीयता दांव पर लगी हुई है।
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चुनाव आयोग की साख दांव पर शेषन और लिंगदोह की याद ताजा