सोनीपत । खरखौदा में शराब तस्करी और चोरी के मामले की जांच के लिए गठित प्रदेश स्तरीय एसइटी के प्रमुख अपर मुख्य सचिव टीसी अग्रवाल मंगलवार को सोनीपत पहुंचे। उन्होंने अपनी टीम के साथ मॉडल टाउन स्थित आबकारी कार्यालय के रिकार्ड की ढाई घंटे तक जांच की। उन्होंने विभाग की महत्वपूर्ण फाइलों को देखा। पिछले दिनों ठेका छोडऩे का तरीका,शराब का स्टॉक, शराब की सप्लाई, लॉकडाउन से पहले शराब का स्टॉक, लॉकडाउन के दौरान पकड़ी गई अवैध शराब, दोबारा से शराब ठेके खुलते समय उपलब्ध स्टाक,दोबारा से ठेके खुलने पर शराब की रोजाना के हिसाब से बिक्री आदि की जानकारी मांगी। इस संबंध में जरूरी फाइलों की छायाप्रति कराईं। कई महत्वपूर्ण फाइलों को टीम ने अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद टीम ने खरखौदा में शराब गोदाम का दौरा किया। वहां पर शराब की स्थिति को देखा और इसकी गिनती करने के तरीके के बारे में जानकारी ली। टीसी गुप्ता ने एसआइटी प्रभारी और रोहतक के एसपी राहुल शर्मा को अपनी देखरेख में दोबारा से शराब की गिनती कराने के आदेश दिए हैं। टीम के अनुसार शराब तस्करी और चोरी के मामले में अभी पुलिस के कई जिम्मेदार अधिकारी घेरे में आ सकते हैं। इसके साथ ही भूपेंद्र की राजनीतिक और आपराधिक संबंधों के भी महत्वपूर्ण साक्ष्य हाथ लगे हैं। जल्द ही आबकारी विभाग के कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
-शराब तस्करी के धंधे में भूपेंद्र
अकूत संपत्ति का मालिक बन बैठा
शराब तस्करी के धंधे में संलिप्त होकर भूपेंद्र अकूत संपत्ति का मालिक बन बैठा।भूपेंद्र की केवल खरखौदा क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अन्य जगहों पर भी संपत्तियां हैं। भूपेंद्र ने अपने गांव सिसाना में मुख्य मार्ग पर बस अड्डे के सामने प्राइम लोकेशन पर अपनी आलीशान कोठी बना रखी है। खरखौदा की अनाजमंडी में उसकी एक आढ़त की दुकान,शहर के मुख्य मार्ग पर उसका एक शोरूम भी है,जिसमें उसने मिष्ठान भंडार खोला हुआ है। भूपेंद्र ने खरखौदा-रोहतक मार्ग पर 10 एकड़ में एक स्कूल बना रखा है और गांव में उसका एक ईंट भ_ा भी है। शराब तस्कर भूपेंद्र ने यह साम्राज्य बीस वर्षों में खड़ा किया है। खरखौदा शहर में एक फाइनेंस के कार्यालय से उसने इसकी शुरुआत की थी और फिर शराब के ठेकों में कुछ प्रतिशत की हिस्सेदारी के बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। शराब के ठेकों में हिस्सेदारी के बाद शराब भूपेंद्र ने ऐसी तिकड़म भिड़ाई कि वह अकूत संपत्ति का मालिक बनता चला गया। अब उसे भूपेंद्र के बजाय भूपेंद्र ठेकेदार के नाम से बुलाया जाने लगा। इसके अलावा भूपेंद्र के पास कई एकड़ कृषि भूमि भी बताई जाती है। जैसे-जैसे भूपेंद्र की संपत्ति बढ़ी वैसे-वैसे उसने दिल खोलकर दान देना शुरू कर दिया। वह गोशाला और क्षेत्र में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में मुख्यातिथि के रूप में पहुंचकर लाखों रुपये देता था। दान देने के चलते ही उसने क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है। भूपेंद्र का खेलों के प्रति लगाव ही है कि वर्ष 2016 में उसे ग्रेपलिंग एसोसिएशन सोनीपत का चेयरमैन भी बनाया गया। एसोसिएशन के साथ जुडऩे के बाद उसने खिलाडिय़ों की समय-समय पर आर्थिक मदद करनी शुरू कर दी। बड़े स्तर पर शराब घोटाला सामने आने के बाद इनकम टैक्स विभाग भी भूपेंद्र की संपत्ति की जांच की तैयारी कर रहा है। दूसरी ओर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) भी भूपेंद्र की संपत्ति भी मामले में नजर रखे है।