नई दिल्ली । दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा धार्मिक स्थलों का सोना सरकार को देने की सिफारिश करने पर सिख सियासत गरमा गई है। सिरसा पर शिरोमणि अकाली दल दिल्ली व जागो पार्टी ने आरोप लगाया है कि वह सिख विचारधारा के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। जागो पार्टी के अध्यक्ष व गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने कहा है कि सिरसा ने धार्मिक स्थलों का सोना सरकार को देने की वकालत इसलिए की ताकि खालिस्तान समर्थक उन्हें धमकी दें और वह केंद्रीय गृह मंत्रालय से सुरक्षा बढ़ाने की मांग कर सकें। मनजीत सिंह ने कहा कि सिरसा सिख धर्म से अनभिज्ञ हैं। यही वजह है कि धार्मिक स्थानों का 'कोष' सरकार को देने की बात कर रहे हैं। सिरसा के बयान के बाद जब कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर दरबार साहिब का सोना उतारने की बात कही तो सिखों में रोष पैदा हो गया। जीके ने सवाल पूछा कि सिरसा ने अपने फेसबुक एकाउंट से 15 मई वाली मूल वीडियो क्यों हटा दी? वहीं शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा है कि प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष पद पर सिरसा के बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। सिख नेताओं का कहना है कि सिरसा ने सभी धार्मिक स्थानों का सोना मानवता की सेवा में इस्तेमाल करने की बात 15 मई को फेसबुक पर जारी वीडियो में दोहराई थी। विवाद के बाद 17 मई को वह अपने बयान से पलट गए। उधर, दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेता कुलवंत सिंह बाठ ने कहा है कि सिरसा का बयान निजी है। भाजपा का सिखों के धार्मिक स्थल गुरुद्वारों पर न कभी दखल रहा है और न ही कभी होगा।
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सिरसा के बयान पर गरमाई सिख सियासत