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कोरोना से बिना डरे जी सकते है सामान्य जीवन! 

कोरोना से बिना डरे जी सकते है सामान्य जीवन! 

कोरोना वायरस से मरने वाले कई लोग एक प्रकार के निमोनिया का शिकार हुए हैं जो वायरस से लड़ने में कमज़ोर हो चुके थे और उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई थी।
हालांकि कोरोना और स्पेनिश फ़्लू के बीच काफी समानता है, लेकिन स्पेनिश फ़्लू की तुलना में कोरोना से संक्रमित लोगों की मृत्यु दर काफ़ी कम है।
अभी तक इस बीमारी से मरने वाले लोगों में अधिकांश बूढ़े लोग हैं या ऐसे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से कमज़ोर थी।स्पेनिश फ़्लू महामारी के समय कम रोगप्रतिरोधक क्षमता के लोगों को फ़्लू संक्रमण भी आसानी से हो जाता था,जो निमोनिया का शिकार हो जाते थे,जिसका सीधा असर उनके फेफड़ों की क्षमता पर पड़ता था। सामान्यतः स्वस्थ लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता फ़्लू से निपटने में सफल रहती है।लेकिन उस समय फ़्लू  इतनी तेज़ी से हमला करता था कि शरीर की प्रतिरोधक शक्ति पस्त हो जाती है। जिससे फेफड़ों में पानी भर जाता था, जिससे फ़्लू संक्रमण की बीमारी अन्य लोगों में भी फैल जाती थी।
फ़्लू की वजह से विश्व के विकसित देशों में सार्वजानिक स्वास्थ्य प्रणाली में काफ़ी सुधार हुआ क्योंकि सरकारों और वैज्ञानिकों को अहसास था कि भविष्य में महामारियां बहुत तेज़ी से फैलेंगी।जो कोरोना के रूप में हमारे सामने है।कोरोना वायरस का ज़्यादा ख़तरा बूढ़े और पहले से बीमार लोगों को है. हालांकि इस बीमारी में मृत्यु दर अन्य गम्भीर बीमारियों की अपेक्षा काफी कम है। किंतु 65 से अधिक उम्र के लोगों में यह सबसे अधिक खतरा बनकर आती है।स्वाइन फ़्लू के दौरान केवल मध्य और उच्च वर्ग के लोग ही डॉक्टरों से इलाज करवाने की क्षमता रखते थे।जिस कारण स्पेनिश फ़्लू से मरने वालों में अधिकांश लोग झुग्गियों या शहरों के ग़रीब इलाकों में रहते थे जहां सफ़ाई और पोषक आहार की कमी थी।
लेकिन अब ऐसा नही है सरकार
 युद्ध स्तर पर संसाधन जुटाने में लगी है, संक्रमित लोगों को अलग रखा जा रहा है और उसमें भी बच्चों को गंभीर रूप से संक्रमित लोगों से अलग रखने की कार्यवाही हो रही है।साथ ही लोगों की आवजाही पर नियंत्रण लगाया जा चुका है ताकि बीमारी ख़ुद ही ख़त्म हो जाए ।कोरोना वायरस से निबटने के लिए आज जो सार्वजानिक स्वास्थ्य के कदम उठाए जा रहे हैं वो स्पेनिश फ़्लू के परिणामों से सीखे गए सबक का ही नतीजा हैं।
कुछ लोगों को लगता है कि कोरोना इंफेक्शन होने ही उनकी जान चली जाएगी. यदि आपके मन में भी ये डर है, तो सबसे पहले अपने मन से यह डर निकाल दीजिए। कोरोना वायरस इतना भी भयानक नहीं है, जितना इसकेबारेमेंग़लतफहमियां फैलाई जा रही हैं। कोरोना वायरस  चीन के अलावा दक्षिण कोरिया, ईरान, इटली, अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों में भी पहुंचा हुआ है और भारत में भी कोरोना वायरस के मामलों की बहुतायत में पुष्टि हो चुकी है। लेकिन कोरोना वायरस इतना भयानक  नहीं, जितना इसके बारे में ग़लतफहमियां फैलाई जा रही हैं।  कोरोना वायरस से आसानी से बचा जा सकता है।इसके कारण, लक्षण और इससे बचने के आसान उपाय करने की जरूरत है। कोरोना वायरस से डरें नहीं, सावधानी बरतें और उचित सावधानी और सही समय पर इलाज कराने से कोरोना वायरस से आसानी से बचा जा सकता हैं।  सही समय पर डॉक्टर से संपर्क करके आप कोरोना वायरस को आसानी से हरा सकते हैं।कोरोना वायरस एक माइल्ड टाइप का वायरस इंफेक्शन है। इसलिए इसे जानलेवा नहीं कहा जा सकता. इसकी चपेट में आये सिर्फ 2% लोगों की ही मौत हुई है और इसकी वजह उनका कमज़ोर इम्यून सिस्टम और अन्य कारण भी ज़िम्मेदार थे।
यदि आप उचित सावधानी बरतते हैं, तो आपको इससे डरने की ज़रूरत नहीं है। इंफेक्शन होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाते हैं, तो आप जल्दी ही ठीक भी हो जाएंगे।कोरोना वायरस अन्य सीज़नल वायरल इंफेक्शन की तरह ही है और जिनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर है, उन्हें सीज़नल वायरल इंफेक्शन से भी तकलीफ हो सकती है।कहते है,गर्म तापमान में कोरोना वायरस नहीं पनपता और हमारे देश में अब गर्मी का मौसम शुरू हो गया है। बस आप अफवाहों से बचें और उचित सावधानी बरतकर कोरोना वायरस को खुद से दूर रखें।
साथ ही बाहर से घर पर आते ही सबसे पहले साबुन या हैंडवॉश से अच्छी तरह हाथ धोएं।
यदि आप लंबे सफर पर हैं और बार-बार साबुन से हाथ नहीं धो सकते, तो अपने पास हैंड सैनिटाइज़र ज़रूर रखें और अपने हाथों को समय-समय पर साफ करते रहें।
अपने चेहरे को, ख़ासकर मुंह, नाक आंख आदि को छूने से बचें. हाथ धोने के बाद ही चेहरे को छूएं।सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचें।अपना मोबाइल फोन नियमित रूप से साफ करें, मोबाइल से भी इंफेक्शन हो सकता है।खांसते या छींकते समय रूमाल या टिशू का इस्तेमाल करें या मुंह को कोहनी से ढंकें।आपके बिल्कुल पास खड़ा कोई व्यक्ति यदि खांसे या छींके, तो उससे दूर हट जाएं, अपना मुंह ढंकने की कोशिश करें और कुछ सेकेंड तक टुकड़ों में सांस लें।
सर्दी-जुकाम से मिलते-जुलते लक्षण कोरोना वायरस के भी हैं। इसलिए खांसने और छींकने वाले लोगों से दूरी बनाए रखें।
घर से बाहर निकलते समय, ख़ासकर भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाते समय मुंह पर मास्क पहनें। इससे आप इंफेक्शन से आसानी से बच सकते हैं।आप चाहें तो एन 95 मास्क या नॉर्मल मास्क भी पहन सकते हैं।
अंडा और मांस खाने से परहेज करें।
यदि आपको खांसी और बुखार हो रहा है, तो लोगों से दूरी बनाए रखें।हालांकि बांग्लादेश में बहुत कम पेशेंट हैं सब लोग खुले घूम भी रहे हैं ।जिनकी टेस्टिंग बहुत कम होने की बात कहीं जा रही है।परन्तु चार महीने से ज्यादा समय हो गया है ।अगर कोरोना होता तो अब तक कम्यूनिटी इंफेक्शन से लाखों लोग प्रभावित हो गए होते। जब बिना टेस्ट के कुछ नहीं हो रहा, फिर टेस्ट क्यों?यह तर्क भी दिया जा रहा है।विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है 80प्रतिशत कोरोना मरीज अपने आप ठीक हो जाते हैं तो 20प्रतिशत पर खतरा हैं,जो अन्य बीमारियों के कारण भी हो सकता है। सर्दी, जुकाम, भुखार  मौसम या वातावरण बदलने पर भी होता है । 138 करोड़ जनसंख्या में चार महीने में 2500 रोगियों की मृत्यु होना यह दर्शाता है कि कोरोना के अधिकांश मरीज ठीक हो रहे है।वह भी तब जब शराब की दुकानों पर मीलों लंबी कतार, ट्रकों में भरे मजूदर, जमाजी,  राज्यों के बॉडरों में लोगों की भीड़, दूध की खुली दुकानें जहाँ रोज पैसों का लेनदेन हो  रहा हो। क्या वहाँ कोई कोरोना  है? क्या गलती से भी इस भीड़ का टेस्ट कर दिया तो क्या कोरोना रोगियों की बाढ़ आ जाएगी ,ऐसा भय पैदा न करे।लेकिन कोरोना से बचने के लिए सावधानी जरूर बरते। तभी हम सामान्य जीवन की ओर बढ़ सकते है।
(लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)

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