इस समय सारी दुनिया कोरोना वायरस नामक महामारी से त्रस्त है कोरोना वायरस महामारी के रूप में इंसानियत पर एक बड़ा हमला है। जिससे सारी दुनिया जूझ रही है हमारा देश- प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा। इस महामारी के कारण उपजे हालात का सबसे बड़ा दर्दनाक भयावह चेहरा जो देखा जा रहा है वह है महानगरों से मजदूरों का पलायन, अपने घर वापसी की मजबूरी, बेबसी, लाचारी जिसने इंसानियत को सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने पर विवश कर दिया है ।
इसी मध्य पवित्र माह रमजान का आगमन पिछले सभी अनुभवों के साथ-साथ एक नया संदेश लेकर आया जो साफ-साफ जता रहा है कि रोजा, नमाज के साथ अन्य मजहबी क्रिया कलापों का बइज्जत पालन करते हुए इंसानियत की खिदमत करने का भी बेहतरीन मौका मुहैया है। वह कह रहा है कि दु:खी, भूख प्यास से बेहाल चाहे वह पैदल चलने वाले मजदूर हो, चाहे वह अपने पड़ोसी हो, नगरवासी हो, देश में निर्मित हालात में उन एकल अथवा सामूहिक असहाय इंसानियत की किसी भी रूप में की गई सेवा, सहायता, खिदमत मालिक की ही इबादत है। वह यह भी कह रहा है कि मैं जर्रे-जर्रे में मौजूद हूं अतएव वर्तमान हालातों में घर में रहकर ही मुझे याद करें। देखा जा रहा है कि आज हर घर इबादतगाह बना हुआ है।
पवित्र माह रमजान दौरान एवं उसके बाद भी हम इंसानियत की खिदमत कर अपनी नेकियों में बेहताशा इजाफा कर सकते हैं। देश-प्रदेश के हालात जैसाकि संकेत दे रहे है उस से यह आभास होता है कि यह कोरोना संकट जल्द जाने वाला नही है। आज भाई, भाई से किनारा न कर उसे सहारा देने वाली इंसानियत की जरूरत है। आइए हम सब इस मौके को हाथ से ना जाने दे कर हम जिस रूप अथवा जिस स्तर पर सक्षम है अपने पड़ोस में, अपने नगर में, नगर से गुजरते कोरोना की बेमौत से मारे पीड़ितों की मदद कर इंसानियत के परचम को फहराते रहें, साथ ही इन विषम परिस्थितियों में कोरोना महामारी से इंसानियत को बचाने में जुटे कर्मवीरों के प्रति सम्मान प्रकट कर देश प्रदेश के प्रति अपने नैतिक फर्ज को अदा करें।
(लेखक - मजीद खां पठान)
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इंसानियत की खिदमत करने का बेहतरीन मौका