YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

स्पोर्ट्स

महान हॉकी खिलाडियों में शामिल हैं बलविंदर सिंह सीनियर  (गजेंद्र राठौड)

महान हॉकी खिलाडियों में शामिल हैं बलविंदर सिंह सीनियर  (गजेंद्र राठौड)

हाल ही में  मीडिया व अखबारों में यह खबर चली की  पूर्व हॉकी खिलाड़ी बलविंदर सिंह सीनियर बीमार है। इसी के चलते 95 वर्षीय पूर्व खिलाड़ी व कोच को फोर्टिस अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराना पड़ा।कौन है यह बलविंदर सिंह सीनियर  और  क्या है भारतीय हॉकी में इनका योगदान?यह जिज्ञासा कई खेल प्रेमियों के मन में उठी।यदि बलविंदर सिंह  कोई  पूर्व क्रिकेटर होते तो जरूर ही सभी को उनके बारे में पर्याप्त सूचना होती।जितनी दौलत व शोहरत क्रिकेट खिलाड़ियों को प्राप्त है,वह किसी अन्य खेल के खिलाड़ियों को नहीं परंतु राष्ट्रीय खेल हॉकी ही वह प्रतिस्पर्धा है जिसने ओलंपिक में भारत को सर्वाधिक स्वर्ण पदक दिलवाए हैं।1948,1952,1956 लगातार तीन बार ओलंपिक में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली भारतीय दल के सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी बलविंदर सिंह सीनियरजिन्हें ज्यादा लोग भूल चुकेहैं।
बलविंदर सिंह भारत के महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक गिने जाते हैं।बलविंदर सिंह का जन्म 31 दिसंबर 1923 कोपंजाब के हरिपुर खालसा क्षेत्र में हुआ था।बचपन से हीबलविंदर सिंह हॉकी के अच्छे खिलाड़ी रहे तथा उनके हुनर को सबसे पहले पहचाना खालसा कॉलेज के हॉकी कोच हरबेलसिंह ने।1942 में पंजाब विश्वविद्यालय की हॉकी टीम हेतु चयनित हुए।बंटवारे के पश्चात बलविंदर सिंह लुधियाना आकर बस गए लेकिन खेल को जारी रखा।राष्ट्रीय टीम में चयन के पश्चात् खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में खेलने का अवसर प्राप्त हुआ। 1948 में आयोजित लंदन ओलंपिक में भेजी गई भारतीय टीम के वे सदस्य थे।ओलंपिक खेल में सर्वप्रथम अर्जेंटीना के खिलाफ खेलने का उन्हें मौका मिला,बाद में वे इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में भी खेलें और इंडिया ने इंग्लैंड को 4-0 से हराया जिसमें से पहले दो गोल बलविंदर सिंह ने ही किए थे।धीरे धीरे बलविंदर सिंह भारतीय हॉकी टीम की रीड बन गए।वे अपनी टीम में सेंटर फॉरवर्ड की भूमिका अदा करते थे। उनके लगातार अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में उन्हें हॉकी टीम का उपकप्तान नियुक्त किया गया। इस ओलंपिक में भी भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। जिसमें बलविंदर सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी।बलविंदर सिंह ने सेमीफाइनल में ब्रिटेन के खिलाफ हैट्रिक जड़ते हुए 3-1 से भारत को जीत दिलवाई।फाइनल में भारत का मुकाबला नीदरलैंड से था जिसमें भारत द्वारा नीदरलैंड के खिलाफ 6 गोल किए गए जिसमें से पांच अकेले बलविंदर सिंह के द्वारा किए गए। किसी भी ओलंपिकफाइनल में व्यक्तिगत रूप से सर्वाधिक गोल का यह रिकॉर्ड आज भी बलविंदर सिंह के नाम ही है। पूरे ओलंपिक1952 में भारतीय दल द्वारा 13 गोल किए गए जिसमें नौ गोल अकेले बलविंदर द्वारा किए गए थे जोकि उनकी अद्भुत खेल क्षमता को प्रदर्शित करता है। उनके इसी अद्भुत कलात्मक खेल को देखते हुए 1956 में आयोजित मेलबोर्न ओलंपिक मेंवे भारतीय हॉकी टीम के कप्तान नियुक्त किए गए।पाकिस्तान को हराकर भारत ने स्वर्ण पदक को अपने अधिकार में बरकरार रखा।
1957 में बलविंदर सिंह को पदम श्री से सम्मानित किया गया। खेल श्रेणी में यह  उपलब्धि प्राप्त करने वाले बलविंदर पहले व्यक्ति थे।1958 में एशियन गेम के अंतर्गत हॉकी प्रतियोगिता में रजत पदक प्राप्त करने वाले भारतीय दल का बलविंदरप्रमुख खिलाड़ी थे।रिटायरमेंट के पश्चात बलविंदर सिंह भारतीय हॉकी टीम के कोच रहे तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं में मैनेजर की भूमिका भी अदा की। 1971 में जिस भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक कांस्य पदक प्राप्त किया था उस टीम के कोचबलविंदर सिंह सीनियर ही थे।
 इस प्रकार बलविंदर सिंह की उपलब्धियां स्वयं ही उनकी महानता का परिचय देती है।भारतीय खेल जगत में उन जैसे खिलाड़ी विरले ही हुए हैं। बलविंदर सिंह सीनियर भारतीय हॉकी जगत के ऐसे चमकदार सूर्य है जिससे आज भी कई युवा खिलाड़ी रोशन रूपी ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
 

Related Posts