नई दिल्ली । लॉकडाउन के दौरान दिल्ली-एनसीआर में प्रवासी प्रक्षियों की रिकॉर्ड मौजूदगी देखी गई है। इस दौरान इंसानी गतिविधियां करीब-करीब बंद ही रही हैं लेकिन परिंदों को यह माहौल और सुधरी हुई आबोहवा काफी पसंद आई। आमतौर पर दिल्ली-एनसीआर के शोर-शराबे से दूर भागने वाले प्रवासी पक्षी इस बार मई की शुरुआत तक यहां की झीलों में टिके रहे। एशियन वाटर बर्ड संसेस एडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के अनुसार गुरुग्राम की नजफगढ़ झील में इस बार लंबे समय तक रिकार्ड प्रवासी पक्षी दिखे। छह ऐसी प्रजातियों के पक्षी भी वहां नजर आए जो इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर की सूची में विलुप्त होने की कगार पर हैं। इनमें तीन प्रजातियां भारतीय तथा तीन विदेशी हैं। एडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के अनुसार जो छह विलुप्त होती प्रजातियों के पक्षी दिखे हैं, उनमें भारत में पाई जाने वाली प्रजातियों में पेंटेड स्टार्क, ब्लैक हेडेड आईबीआईएस, ओरिएंटल डार्टर शामिल हैं जबकि तीन अन्य प्रजातियों में मध्य एशिया में पाई जाने वाली प्रजाति कामन पोचर्ड, उत्तरी एशिया से आने वाला ब्लैक टेल्ड गोडविट तथा साइबेरिया से आने वाला ग्रेटर स्पाटेड ईगल शामिल हैं। इकोलॉजिस्ट टीके राय ने बताया कि नजफगढ़ वेटलैंड में इस साल सबसे ज्यादा पक्षी दिखे और देर तक रहे क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उन्हें पहले की तुलना में उपयुक्त वातावरण मिल पाया। वर्ना गर्मी आरंभ होते ही ये वापस चले जाते हैं। 54 प्रजातियां दिखीं नजफगढ़ वेटलैंड में 9,453 पक्षी देखे गए। इतना ही नहीं, पक्षियों की सर्वाधिक 54 प्रजातियां देखी गईं। यदि तीन साल के आंकड़ों से तुलना करें तो 2019 में पक्षियों की संख्या 1,679, कुल प्रजातियां 31 तथा आईयूसीएन की सूची में खतरे में शामिल चार प्रजातियां दर्ज थीं। 2018 में 3,091 पक्षी, 40 प्रजातियां तथा एक आईयूसीएन की सूची में खतरे में शामिल प्रजाति का ब्योरा मिलता है जबकि 2017 में 1,317 कुल पक्षी, 33 प्रजातियां दिखी थीं।
रीजनल नार्थ
लॉकडाउन में लंबे समय तक एनसीआर में टिके रहे प्रवासी पक्षी