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भविष्य की भयावह तस्वीर दर्शाता कोरोना का बढ़ता ग्राफ़! 

भविष्य की भयावह तस्वीर दर्शाता कोरोना का बढ़ता ग्राफ़! 

दो माह का लॉक डाउन झेलने के बाद भी देश को कोरोना से कोई राहत मिलती नही दिख रही है।लॉक डाउन के कारण आर्थिक रूप में प्रायः टूट चुके लोगो उनके रोजगार में थोड़ी राहत देने,अपने गृह प्रदेश से बाहर रह रहे मजदूरों को लॉक डाउन के दो माह बाद घर भेजने की हरी झंडी देने तथा कोरोना रोगियों की जांच में तेजी लाने से कोरोना का आंकड़ा सिर चढ़कर बढ़ने लगा है।पहले माना जा रहा था कि कोरोना केवल विदेश से आने वालों और उनके सम्पर्क में आए जमातियों की वजह से बढ़ा।लेकिन अब बाहर प्रदेशो में रह रहे मजदूरों में उनके घर पहुंचने पर कोरोना के लक्षण बढ़ने से हालात चिंताजनक हो गए है।
जब कोरोना कम था तो सख्ती अधिक थी और अब लॉकडाउन में रियायतें तब दी जा रही हैं, तो कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।कोरोना के बढ़ते आंकड़ो के बीच ही रेलवे ने करीब 200 ट्रेनों के लिए अपने काउंटर से बुकिंग शुरू कर दी है,वही घरेलू उड़ानों के एयरलाइंस ने भी बुकिंग करना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ दिन से वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।
 24 घंटे में भारत में 6 हजार 88 कोरोना के नए मामले सामने आए हैं।यह एक दिन में अब तक के सबसे ज्यादा मामले हैं। भारत में कुल मामले एक लाख 18 हजार से भी पार हो गए हैं और 35 सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। महाराष्ट्र में भी एक दिन में सबसे ज्यादा नए मामले आने का रिकॉर्ड बना है।वहां 24 घंटे में  2 हजार 940 नए मरीज मिले हैं और 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। महाराष्ट्र का कुल आंकड़ा 44 हजार 582 पर पहुंच गया है और वहां 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मुंबई के स्लम एरिया धारावी में ही 24 घंटे में 53 नए मामले मिले हैं, धारावी में अब तक 14 सौ 78 मामले मिल चुके हैं और 57 लोगों की मौत हो चुकी है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि जुलाई में कोरोना महामारी अपने चरम पर होगी।दिल्ली सरकार की कोरोना टीम के प्रमुख डॉक्टर एसके सरीन का भी  मानना है कि जुलाई-अगस्त में ही सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले आएंगे। ऐसे में लॉक डाउन कब तक चलेगा और क्या लॉकडाउन में  रियायतें भी मिलती रहेंगी।इस पर विचार मंथन होना अभी शेष है।
हालांकि केंद्र सरकार ने दावा किया है कि लॉकडाउन की वजह से बहुत सी जानों को बचाया जा सका। सरकार के दावों में ,लॉकडाउन की वजह से संक्रमण के 29 लाख मामलों को रोका गया और 78 हजार लोगों की जान बचाई गई। यानि अगर लॉकडाउन ना होता तो  29 लाख मामले बढ़ गए होते और 78 हजार लोगों की जानें भी चली जातीं।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली में 14 नए कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़कर 92 हो गई है। दिल्ली में एक दिन में इतने कंटेनमेंट जोन आज तक नहीं बने। दिल्ली सरकार की ओर से ये जानकारी दी गई। राष्ट्रीय राजधानी में बीते चार दिनों के दौरान कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 2,200 से ज्यादा हो गई है।
दिल्ली में कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 208 पहुंच गई है, जबकि इस संक्रमण के 660 और मामले सामने आए, जो एक दिन में अब तक सबसे ज्यादा हैं। राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 12,319 पहुंच गई। हालांकि, 5897 लोग ठीक भी हो चुके हैं।
प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ठीक होने वाले संक्रमित मरीजों की तुलना में कोरोना एक्टिव केस दोगुने हो गए हैं। दस दिन के भीतर उत्तराखंड की रिकवरी दर 30 प्रतिशत घट गई है। संक्रमण की दर एक प्रतिशत से अधिक हो गई है। कोरोना संक्रमण के ये आंकड़े स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा रहे हैं।
उत्तराखंड में बाहरी राज्यों से डेढ़ लाख प्रवासी अपने गांव लौटे हैं। राज्य आने वाले प्रवासियों की संख्या पांच लाख तक पहुंच सकती है। ऐसे में प्रदेश में कोरोना संक्रमित मामले रिकॉर्ड रूप में बढ़ सकते हैं। 
लॉक डाउन के चलते अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए दी गई रियायत से कोरोना संक्रमित मामलों में तेजी आई है। 
कोरोना संक्रमण रोकने के लिए प्रदेश की कार्यक्षमता भी घट रही है। किसी भी राज्य के लिए संक्रमण के दोगुने होने की दर सबसे महत्वपूर्ण होती है। वर्तमान में दुगुनी दर घटकर आठ दिन हो गई है। 
वहीं संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर 37 प्रतिशत  है। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत के शब्दों में, कोरोना संक्रमित मामले बढ़ने के कारण रिकवरी और डबलिंग रेट में कमी आई है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पूरी सतर्कता बरती जा रही है। सैंपलिंग में तेजी आने से संक्रमण के मामले मिल रहे हैं।
 आपको बता दे कि गत एक सप्ताह में दून, हल्द्वानी, एम्स ऋषिकेश, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और प्राइवेट प्रयोगशालाओं  में 3,631 सैंपल जांच के लिए भेजे गए।जिनके सापेक्ष मिली 2093 रिपोर्ट में तीन दिन पूर्व तक 52 मरीज पॉजिटिव मिल चुके थे। सैंपलिंग बढ़ने के साथ लैब पर दबाव बढ़ना भी शुरू हो गया है। राज्य अभी 1538 सैंपलों की रिपोर्ट आनी बाकी है। राज्य की लैब क्षमता हर दिन डेढ़ सौ से दो सौ सैंपल जांचने की है।
उत्तराखंड में पिछले एक सप्ताह के दौरान सैंपलिंग की रफ्तार बढ़ी जरूर है लेकिन अभी भी यह पड़ोसी राज्य हिमाचल और अन्य हिमालयी प्रदेशों से काफी कम कही जा सकती है।
हिमाचल प्रदेश में अभी तक 18 हजार से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में जांच का आंकड़ा 88 हजार के पार पहुंच गया है। त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य में भी उत्तराखंड से कहीं ज्यादा 14 हजार से अधिक जांच हो चुकी हैं। उत्तराखंड में अभी तक सिर्फ 12 हजार  लोगों की ही जांच हो पाई है।फिर भी कोरोना का बढ़ता आंकड़ा भविष्य की भयावह तस्वीर को इंगित जरूर करता है।
(लेखक-डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट / ईएमएस)

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