इस वर्ष देश-प्रदेश सहित चन्देरी पर्यटन एवं होटल व्यवसाय में तेजी आने के पूर्व भारत में एक अदृश्य विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस ने दस्तक देकर संपूर्ण भारत को अपनी चपेट में ले लिया और वायरस संक्रमण रोकथाम अंतर्गत भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के तहत संपूर्ण भारत में 24 मार्च से लाकडाउन घोषित कर आवागमन के सभी साधनों सहित सभी तरह के संस्थान जिसमें पर्यटन स्थल, होटल आदि भी सम्मिलित हैं बंद हो गए। इस बंद का असर यूं तो प्रत्येक क्षेत्र में दिखाई दे रहा है लेकिन पर्यटन क्षेत्र, होटल व्यवसाय की अपनी एक अलग दास्तां है।
मानना यह है कि देर सबेर अन्य उद्योग क्षेत्र अपनी जिंदगी की रफ्तार हासिल करेंगे और यह सच है कि कई क्षेत्र में इनकी शुरुआत भी हो चुकी है। वहीं पर्यटन उद्योग, होटल व्यवसाय आज भी संपूर्ण बंद की काली छाया में अपने मजबूरी के दिन व्यतीत कर रहा है। जिस उद्योग में रोजाना पर्यटन स्थलों, होटलों में सैलानियों का मेला भरा रहता था। जिस कारण न जाने कितने परिवारों की रोजी-रोटी की गाड़ी रोजगार पटरी पर सकुशल अच्छी खासी गुजर रही थी, जो देश प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अपना सौ प्रतिशत योगदान प्रदान कर रहा था। आज उस क्षेत्र में कोरोना के कारण चारों ओर सन्नाटा है। वह अपनी जिंदगी की रफ्तार कब हासिल करेगा आज कुछ भी नहीं कहा जा सकता, हां आशा अवश्य की जा सकती है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में पर्यटन उद्योग की हालत नाजुक से भी अधिक और नाजुक दिखाई दे रही है।
सर्वविदित है कि ऐतिहासिक पुरातन नगर चंदेरी एक आदर्श पर्यटन स्थल एवं हस्तशिल्प कला का दिलकश नमूना चंदेरी साड़ियां एवं अन्य ड्रेस मटेरियल के लिए देश प्रदेश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी अपनी पहचान कायम किए हुए हैं। यही कारण है कि वर्ष भर नगर में देशी-विदेशी सैलानियों का आवागमन जारी रहता है। कोरोना के कारण आज नगर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (भारत सरकार) एवं राज्य पुरातत्व विभाग आधीन सभी स्मारक स्थलों पर आमजन का प्रवेश प्रतिबंधित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (भारत सरकार) द्वारा संचालित चन्देरी नामक संग्रहालय पर भी ताला लटक रहा है। पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी शासकीय एवं निजी क्षेत्र में संचालित सभी होटल पूर्ण रूप से बंद है। ऐसी परिस्थितियों में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े अन्य सहायक घटक के रूप में कार्यरत गाइड, वाहन चालक, ट्रेवल्स एजेंट, होटल मजदूर आदि की हालत गौरतलब है।
मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा दो होटल क्रमश: ताना-बाना एवं किला कोठी संचालित हैं। वहीं भारत सरकार ग्रामीण पर्यटन योजना अंतर्गत नगर के निकटवर्ती ग्राम प्राणपुर में स्थापित अमराई नामक रिसोर्ट ग्रामीण समिति द्वारा संचालित है। निजी क्षेत्र में चार होटल कार्यरत हैं। वहीं एक नवीन होटल पर्यटन क्षेत्र में कदम रखने हेतु उदघाटन तैयारी के पूर्व कोरोना के कारण जिस हालत में थी उसी हालत में ठहर गई हैं। 24 मई म. प्र. राज्य पर्यटन विकास निगम स्थापना दिवस यानि म. प्र. पर्यटन दिवस पर कोरोना महामारी के कारण पर्यटन एवं होटल व्यवसाय क्षेत्र में उपजी वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर स्थानीय निजी होटल संचालकों से चर्चा कर उनके विचारों से आमना-सामना किया। क्या कहते हैं वह, आइए जानें।
1995 ईस्वी में प्रथम निजी स्थापित एवं नगर में विदेशियों की पहली पसंद होटल श्री कुंज के संचालक अरुण सोमानी का चर्चा दौरान साफ कहना है कि बेशक कोरोना, लाकडाउन के कारण होटल व्यवसाय को भारी आर्थिक आर्थिक हानि हुई है। देसी के अलावा विदेशी पर्यटकओं कि मार्च से अगस्त तक कि हमारी होटल की सभी बुकिंग रद्द हो चुकी हैं। विपरीत इसके बिजली का बिल अन्य व्यय यथावत जारी है। किंतु आशा से आसमान टिका हुआ है कहावत में विश्वास रखते हुए यह भी कहना है कि शासन को इस दिशा में अब निर्णय लेने की आवश्यकता है। साथ ही दिशा निर्देश जारी कर वह, क्या सावधानियां हैं कैसे उनका पालन करना है ताकि कर्मचारी एवं मेहमान दोनों सुरक्षित रहें, पालन कराना सुनिश्चित करें। ताकि जान है जहान है के साथ कारोबार भी पटरी पर आ सके। वैसे भी अशोकनगर जिला ग्रीन जोन में है, प्रचारित किया जाना चाहिए। हमें डरना नहीं बल्कि घर से बाहर निकल कर भी कोरोना को हराना है।
2016 ईस्वी में स्थापित होटल श्याम वाटिका के संचालक दीपक श्रीवास्तव एडवोकेट का कहना है कि कोरोना के कारण लागू लाकडाउन अंतर्गत शासन द्वारा जारी एडवाइजरी के पालन में होटल पूर्णरूपेण बंद है। जिस कारण पूर्व से की गई सात एडवांस बुकिंग रद्द हुई आर्थिक नुकसान हुआ। लेकिन अब शासन को शीघ्र अति शीघ्र होटल के बारे में दिशा-निर्देश जारी कर होटल प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान करना चाहिए हम शासन के नियमों का पालन करेंगे।
नमंबर 2019 में पुरातन भारतीय संस्कृति अतिथि देवो भव: भावना के साथ आइए आपका स्वागत है कहते हुए होटल प्रगति के माध्यम से प्रगति के पथ पर कदम रखने वाले युवा व्यवसायी की स्थिति हमारे मतानुसार सिर मुड़ाते ही ओले पड़े कहावत जैसी हुई। फिर भी प्रगति होटल संचालक आशीष जैन का कहना है कि पर्यटन एवं होटल एक दूसरे के पूरक होकर उनका चोली दामन का साथ है। वर्तमान परिस्थितियां देखते हुए पर्यटन एवं होटल क्षेत्र में अभी अनिश्चितता का माहौल बरकरार है। होटल कब शुरू होगी निर्णय शासन को लेना है, शासन द्वारा जारी नियम कायदों का पालन करना हमारा कर्तव्य है। लेकिन उन्होंने खासतौर पर जोर दे कर दो बातें कहीं एक तो शासन को बंद पड़े होटल के बिजली बिल में रियायत देनी चाहिए उदाहरणस्वरूप होटल बंद है फिर भी बिल तीस हजार का आया। दूसरे जो असंगठित क्षेत्र के मजदूर होटल में कार्यरत हैं उन्हें शासन द्वारा अन्य हितग्रहियों के समान सीधी आर्थिक सहायता उनके बैंक खाते में पहुंचा कर करनी चाहिए।
15 जून 2018 ईस्वी होटल अक्षिता पैलेस के नाम से होटल कारोबार में कदम रखने वाले युवा व्यवसायी संजीव (रानू) जैन का कहना है कि कोरोना ने हमारी तथा हमारे कारोबार की कमर तोड़कर रख दी है। अभी हम दो कदम ही चले थे कि कोरोना ने जहां से चले थे वहीं पर लाकर खड़ा कर दिया। लेकिन होटल संग नवीन रेस्टोरेंट के साथ कारोबार की शुरुआत की आस बांधे संजीव (रानू) जैन दम भरते हुए कहते हैं कि नियमों का पालन करते हुए हम कोरोना से लड़ेंगे भी, और आगे भी बढ़ेंगे।
अंत में सब मिला-जुला कर हमारा यह कहना है कि शासन के समक्ष यह तथ्य विचारणीय होना चाहिए कि वर्तमान परिस्थितियों में देश प्रदेश में पर्यटन एवं उससे जुड़े अन्य सहायक घटक होटल व्यवसाय आदि आगे किस प्रकार संचालित हो सकेंगें दिशा निर्देश अपेक्षित हैं। ताकि रूकी-रूकी सी जिंदगी फिर सफर करते हुए देश-प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में अपना पूर्ववत योगदान जारी रख सकें। यही नही वर्तमान में अपने-अपने साधनो से सफर कर रहे यात्रियों को आवास सुविधा उपलब्ध हो सकें जो अभी मांग पर भी उपलब्ध नही हो पा रही है। साथ ही बड़ी बात यह है कि होटल व्यवसाय पर आश्रित अनेकों-अनेक परिवारों का रोजी-रोटी का जरिया पुर्नजीवित हो सकें।
(लेखक- मजीद खां पठान)
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कोरोना ने पर्यटन उद्योग की कमर तोड़ दी