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 मंडी सहित 91 तहसीलों में बंदर वर्मिन हुआ घोषित

 मंडी सहित 91 तहसीलों में बंदर वर्मिन हुआ घोषित

मंडी । केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश में अब बंदरों को वर्मिन घोषित किया है। इस घोषणा के बाद अब किसान अपनी फसलों की रक्षा करने के लिए बंदरों को मार सकते हैं। दरअसल, प्रदेश में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। हालांकि वन भूमि पर इनके शिकार पर पाबंदी रहेगी। प्रदेश सरकार के दिशा निर्देशों के बाद मंडी जिला में भी बंदरों को ‘पीड़त जानवर’ घोषित किया गया है। सूबे की कुल 91 तहसीलों में बंदलों को मारने की अनुमति दी गई है। जानकारी के अनुसार, मंडी जिला की 10 तहसीलों में बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया गया है, जिसके तहत किसान अब फसल को नुकसान से बचाने के लिए बंदरों को मार सकते हैं। वन मंडल अधिकारी मंडी सुरेद्र सिंह कश्यप ने बताया कि बंदरों के आतंक को देखते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को इन्हें प्रदेश में वर्मिन घोषित करने का प्रस्ताव भेजा था। दरअसल वन भूमि से बाहर भी बंदर काफी ज्यादा मात्रा में बढ़ गए हैं और वे लगातार प्रदेश के किसानों की उम्मीदों को उजाड़ रहे हैं। जिसके बाद सरकार ने प्रदेश में बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया है। मंडी जिला की तहसील सुन्दरनगर, मंडी, चच्योट, थुनाग, करसोग, सरकाघाट, धर्मपुर, जोगिंद्रनगर, पघर व लडभड़ोल में ही बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है, जबकि बाकि बची 7 तहसीलों व 10 उप तहसीलों को इसमें नहीं जोड़ा गया है। वन मंडलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह कश्यप ने बताया कि मंडी की 10 तहसीलों में आगामी एक वर्ष तक बंदरों को मारने की परमीशन किसानों को दी गई है, लेकिन वन भूमि पर बंदरों को नहीं मारा जा सकता है। रीसस मकाक श्रेणी के बंदरों को आने वाले समय में फसलों को बचाने के लिए मारा जा सकता है। ये मंजूरी पहले भी थी लेकिन अब इसे एक साल के लिए बढ़ा दिया है। बंदर मारने के तुरंत बाद नजदीक के वन अधिकारी-कर्मचारी को इसकी जानकारी उपलब्ध करवानी होगी।
 

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