नोएडा । सपा अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुखयमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच रिश्तों की कड़वाहट कम हो सकती है। शिवपाल यादव की सदस्यता रद्द करने को भेजी गई याचिका को वापस लेने के बाद माना जा रहा है अखिलेश और शिवपाल के बीच की दूरियां कम हाे रही है। जानकार बताते हैं कि शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय भी हो सकता है। हालांकि इस विषय पर अभी कोई भी नेता खुल कर बयान नहीं दे रहा है।
इस साल होली के मौके पर सैफई में आयोजित कार्यक्रम में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के साथ शिवपाल सिंह यादव भी साथ थे। होली मिलन कार्यक्रम के दौरान ही अखिलेश ने शिवपाल के पैर छूकर आर्शीवाद लिया था। तभी से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के रिश्तों में कुछ सुधार हुआ है। वहीं उसी कार्यक्रम में शिवपाल ने मुलायम के साथ रामगोपाल के भी पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। शिवपाल और अखिलेश के एक मंच पर आते ही कार्यकर्ताओं ने चाचा-भतीजा जिंदाबाद के नारे भी लगाए थे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सपा द्वारा शिवपाल यादव की सदस्यता रद्द करने को भेजी गई याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी है। इस संबंध में विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिया। आदेश में कहा गया है कि सपा विधानमंडल दल नेता राम गोविंद चौधरी द्वारा 23 मार्च 2020 को प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया जाता है तथा उनके द्वारा शिवपाल यादव के विरुद्ध उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता नियमावली के तहत प्रस्तुत याचिका को वापस लिए जाने की अनुमति दी जाती है।
सपा नेता राम गोविंद चौधरी ने पिछले साल चार सितंबर को शिवपाल की सदस्यता खत्म करने के लिए याचिका दाखिल की। इस याचिका का परीक्षण हो ही रहा था कि इस बीच रामगोविंद चौधरी ने पत्र लिख कर कहा कि वह याचिका वापस लेना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि याचिका प्रस्तुतिकरण के समय कई महत्वपूर्ण अभिलेख व साक्ष्य याचिका के साथ संलग्न नहीं किए जा सके थे। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि याचिका वापस लेने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि आवश्यक अभिलेख लगाए जा सके।
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अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच की दूरियां सपा में हो सकती है चाचा की वापसी