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हाई कोर्ट का दिल्ली सरकार को निर्देश 10 दिन के अंदर ऑटो ड्राइवरों को मिले 5 हजार रुपये मुआवजा

हाई कोर्ट का दिल्ली सरकार को निर्देश 10 दिन के अंदर ऑटो ड्राइवरों को मिले 5 हजार रुपये मुआवजा

नई दिल्ली ।  दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को निर्देश दिया है कि ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा और ग्रामीण सेवा के ड्राइवरों को 5 हजार रुपये का मुआवजा 10 दिन के भीतर दिया जाए। दरअसल, दिल्ली सरकार द्वारा 11 अप्रैल को एक स्कीम लॉन्च की गई थी जिसमें करोना की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए बतौर मुआवजा 5 हजार रुपये की रकम देने की दिल्ली सरकार की तरफ से घोषणा की गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट में एनजीओ 'नई सोसाइटी' की तरफ से ये याचिका लगाई गई थी। अर्जी में कहा गया था कि दिल्ली सरकार की इस स्कीम का फायदा सिर्फ उन्हीं ड्राइवरों को मिला जिनके पीवीसी (पब्लिक सर्विस व्हीकल) बैच में चिप लगा हुआ था। चिप होने पर ही ड्राइवरों को यह 5000 रुपये का मुआवजा दिया गया है। याचिकाकर्ता के वकील वरुण जैन ने कोर्ट को बताया कि बैच में चिप लगे होने की शर्त के कारण 50 फीसदी से भी कम ड्राइवरों को दिल्ली सरकार की तरफ से कोरोना मुआवजे के तौर पर 5 हजार रुपये दिए गए हैं। 
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग को कहा है कि सभी ऑटो ड्राइवर जिनके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस है और बेंच नंबर है, उन्हें दिल्ली सरकार ये मुआवजा तुरंत दे। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस स्कीम को लॉन्च हुए काफी वक्त हो चुका है। 11 अप्रैल को इसको लांच किया गया था और अब मई खत्म होने को है, ऐसे में सरकार यह सुनिश्चित करे कि 10 दिनों के भीतर सभी वैध ड्राइवरों को यह रकम उनके अकाउंट में ट्रांसफर की जाए। जिससे करोना काल में जरूरतमंद ड्राइवर इस रकम और स्कीम का फायदा उठा सकें।
साल 2010 में दिल्ली सरकार की तरफ से पब्लिक सर्विस व्हीकल बैच होल्डर्स को चिप लगवाने के लिए कहा गया था। सरकार के इस आदेश का कुछ ड्राइवरों ने पालन किया और कुछ अपने बैच में चिप नहीं लगवा पाए। लेकिन उनके पास अपना वैध ड्राइविंग लाइसेंस है। साथ ही वह लाइफटाइम पीएसवी बैच होल्डर भी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में ऐसे सभी ड्राइवरों को 5 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिल्ली सरकार को दिया है। दिल्ली सरकार की तरफ से कोरोना से हुए नुकसान की कुछ हद तक भरपाई करने के लिए 140 करोड़ रुपये की रकम तय की गई थी। याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि इस रकम में से अभी तक 55 करोड़ रुपये ही आम लोगों तक पहुंच पाए हैं।
 

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