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 नोएडा  दो हफ्ते में दो लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ा सपनों का शहर

 नोएडा  दो हफ्ते में दो लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ा सपनों का शहर

नोएडा ।  नोएडा यानि उत्तर प्रदेश की शो विंडो और सपनों का शहर, जिसने तरक्की की नई इबारत गढ़ी है। पूरे प्रदेश में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति औसत आय 6.71 लाख यहां पर है। जो प्रदेश में प्रति व्यक्ति औसत आय से दस गुना से भी अधिक है। यहां पर गगनचुंबी इमारते हैं तो आलीशान घर और देश की सबसे बड़ी फैक्टरियां भी यहां पर हैं। पूरे देश में सबसे अधिक मोबाइल फोन आज गौतमबुद्धनगर में बन रहे हैं। प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व भी इसी जिले से मिल रहा है।
एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट और सबसे बड़ा औद्योगिक हब यहां पर बन रहा है। आज अधिकांश लोगों का सपना है कि वह नोएडा में रहें और यहां पर रोजी-रोटी कमाएं। लेकिन कंक्रीट के हाईटेक जंगल में तब्दील हो चुके इस जिले ने लाखों लोगों के दिल को भी तोड़ दिया है और वह अब यहां पर नहीं रहना चाहते। 15 दिन में ही दो लाख से अधिक लोग गौतम बुद्ध नगर जिले को छोड़ चुके हैं और अभी भी उनके जाने का क्रम जारी है। जिलाधिकारी सुहास एलवाई के अनुसार ही जिले में 16 मई से चल रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन के माध्यम से 77,803 लोगों को उनके घर भेजा जा चुका है। इसके अलावा 45 हजार लोग बस से गए हैं। अनेक लोग निजी वाहनों और किराये के साधनों से भी निकले हैं। माना जा रहा है कि पिछले 15 दिनों में दो लाख से अधिक लोग गौतमबुद्दनगर को छोड़ चुके हैं।
घर वापस लौटने वाले इन श्रमिकों में शामिल कटिहार के महेश, निरंजन, काले, सोहना आदि का नम आंखों से कहना था कि वह अब कभी यहां पर वापस लौटकर नहीं आएंगे। अपने गांव में ही मजदूरी कर लेंगे और वहीं पर अपनों के बीच रहेंगे। इन्हीं की तरह के सैकड़ों लोग थे, जिनमें से कुछ ऐसे थे, जिन्होंने अपनी जिंदगी के तीन से पांच दशक तक यहां पर लगाये और अनेक भवनों को बनाया या उन्हें अपनी कला से सजाया अथवा उद्योगों में काम किया। उनका कहना था कि संकट के इस दौर में यह शहर उन्हें संभाल नहीं सका और उनकी पेट की आग को भी शांत नहीं कर पाया। इससे भले तो अपने गांव हैं, जहां पर वह कम से कम भूखे नहीं मरेंगे। नोएडा में काम करने वालों में सबसे अधिक लोग बिहार के हैं, जो यहां पर हर तरह के काम से जुडे हैं। वह निर्माण कार्यों से लेकर इंडस्ट्री में मैनेजर तक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 16 से 28 मई तक बिहार के 49 हजार 984 लोगों को घर भेजा जा चुका है।
 

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