नीलगिरी । पिछले 7 साल से देश में चाय के दाम स्थिर बने हुए हैं। कोरोना संकट के बाद तथा पश्चिम बंगाल एवं असम में तूफान और बाढ़ से इस साल चाय का उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। चाय के उत्पादन में लगभग 37 फ़ीसदी की गिरावट होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिसके कारण घरेलू तथा थोक बाजार में चाय की कीमतें 30 से 35 रुपए किलो तक बढ़ गई हैं।
ब्रांडेड कंपनियां और दलालों को भारी मुनाफा
चाय बागान में चाय की पत्ती 126 रुपए किलो से लेकर 140 रुपए किलो तक आमतौर पर बिकती है। यही चाय खुदरा बिक्री में 400 रुपये किलो तक पहुंच जाती है। किसान और उपभोक्ता के बीच में लगभग 260 रुपए किलो का मुनाफा कंपनियां और ब्रोकर मिलकर खा जाते हैं। किसान को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। चाय उत्पादन में कमी होने की आशंका के चलते नीलामी में चाय की कीमत पिछले वर्ष की तुलना में 30 से 40 रुपए किलो ज्यादा है। मांग और आपूर्ति में अंतर होने पर चाय के दाम 7 वर्ष बाद काफी बढ़ सकते हैं। ऐसा अंदाजा चाय के कारोबारियों द्वारा लगाया जा रहा है।
रीजनल ईस्ट
30 रुपया किलो महंगी हुई चाय