एक ओर कोरोना संकट, दूसरी ओर टिड्डी दलों का प्रकोप और इन्हीं संकटों के बीच भूकम्प, चक्रवाती तूफान तथा बेमौसम बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला मानव जाति को बुरी तरह झकझोर रहा है। केवल पश्चिम बंगाल में ही चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ के कारण करीब 13 अरब डॉलर के आर्थिक नुकसान तथा करीब 80 लोगों की मौत का अनुमान है। पिछले दिनों बंगाल की खाड़ी में आए अम्फान के कारण पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा में हुई भयानक तबाही के कहर से भारत अभी उबरा भी नहीं है कि अब देश के दूसरे हिस्सों में समुद्री तटों पर ऐसे ही एक और तूफान का खतरा मंडरा रहा है। अब जिस चक्रवाती तूफान के आने को लेकर अलर्ट जारी किया गया है, उसका नाम है ‘हिका’, जो गुजरात तथा महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में तबाही मचा सकता है। इस तूफान का ‘हिका’ नामकरण मालदीव द्वारा किया गया है। अरब सागर में बना निम्न दबाव का क्षेत्र अगर तूफान में बदल जाता है तो इस तूफान का नाम ‘निसर्ग’ होगा। दरअसल अभी आधिकारिक तौर पर इस तूफान का नामकरण नहीं किया गया है क्योंकि ऐसा तब तक नहीं किया जाता, जब तक निम्न दबाव का क्षेत्र साइक्लोनिक तूफान में तब्दील नहीं होता। स्काईमेट के अनुसार यह चक्रवाती तूफान उत्तरी महाराष्ट्र तथा दक्षिण गुजरात की सीमाओं के पास टकराएगा।
समुद्र से उठने वाला चक्रवाती तूफान जब विकराल रूप धारण कर लेता है तो समुद्र तटों के आसपास के इलाकों के लिए बेहद खतरनाक हो जाता है। दरअसल समुद्र से उठने के कारण इन तूफानी हवाओं में भरपूर नमी होती है और इसीलिए ऐसा तूफान जमीन पर आते ही मूसलाधार बारिश करता है। ऐसे तूफानों के कारण स्थिति खतरनाक इसलिए हो जाती है क्योंकि सैंकड़ों किलोमीटर की तेज गति से चलने वाली हवाएं अपने रास्ते में आने वाली हर वस्तु को जड़ से उखाड़ फैंकने को आतुर प्रतीत होती हैं। यही कारण है कि हिका तूफान की संभावना को लेकर अरब सागर के गहरे दबाव (डीप डिप्रेशन) के चलते गुजरात के समुद्री तटों पर सिग्नल जारी करतेे हुए मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी मछुआरों को अगले कुछ दिनों के लिए समुद्र में मछली पकड़ने से बचने का अनुरोध करते हुए चेतावनी दे चुके हैं कि एक चक्रवात तूफान के मुम्बई के समुद्र तट पर टकराने की आशंका है।
दो जून को दोपहर बाद से तीन जून तक महाराष्ट्र में काफी तेज गति से हवाएं चलने और भारी बारिश की संभावना है। पहले यह चक्रवात ओमान की ओर आगे बढ़ रहा था लेकिन अब इसका रूख गुजरात की ओर हो गया है। चिंता की स्थिति यह है कि भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए अलर्ट के मुताबिक गुजरात में फिलहाल एक नहीं बल्कि ऐसे दो समुद्री तूफानों का खतरा है। पहला तूफान एक से तीन जून के बीच तटीय इलाकों से टकरा सकता है जबकि दूसरा तूफान ‘हिका’ चार से पांच जून के बीच गुजरात के द्वारका, ओखा तथा मोरबी से टकराता हुआ कच्छ की ओर जा सकता है। माना जा रहा है कि जिस समय यह चक्रवात जमीन से टकराएगा, तब हवा की गति 120 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी और साथ ही तेज हवाएं भी चलेंगी, जिससे भारी नुकसान होने की संभावना है। 31 मई को जारी चेतावनी में भारत में ‘साइक्लोन मैन’ के नाम से विख्यात चक्रवाती चेतावनी विशेषज्ञ और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डा. मृत्युंजय महापात्रा बता चुके हैं कि दक्षिणपूर्व अरब सागर और लक्षद्वीप में बने निम्न दबाव क्षेत्र के बाद इसके 1 जून को डिप्रेशन में बदलने और उसके अगले दिन चक्रवाती तूफान में बदलने की पूरी संभावना है। उन्होंने बताया है कि 3 जून की शाम तक यह तूफान गुजरात और उत्तरी महाराष्ट्र के तटों तक पहुंचेगा।
भारतीय मौसम विभाग द्वारा 31 मई को अरब सागर के लिए दोहरे दबाव का अलर्ट जारी कर दिया गया था। 3 जून तक इस तूफान के गुजरात तथा उत्तर महाराष्ट्र के तटों पर टकराने के बाद इसके उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ने की आशंका है। डा. मृत्युंजय महापात्रा के मुताबिक इस तूफान के चलते गुजरात तथा महाराष्ट्र के तटवर्ती इलाकों में 3 और 4 जून को भारी बारिश हो सकती है। इसीलिए मौसम विभाग ने अब 4 जून को महाराष्ट्र और गुजरात के तटवर्ती क्षेत्रों में रेड अलर्ट जारी कर दिया है। राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केन्द्र की प्रमुख सती देवी का कहना है कि 3 जून के लिए तटवर्ती महाराष्ट्र और गोवा के लिए रेड अलर्ट तथा गुजरात के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है जबकि 4 जून के लिए तटवर्ती महाराष्ट्र, गोवा और पूरे गुजरात को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है। इन क्षेत्रों में चक्रवाती तूफान के चलते भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग के अहमदाबाद केन्द्र द्वारा उत्तर और दक्षिण गुजरात की सभी बंदरगाहों के लिए भी अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में 4 जून तक 90-100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चलने और उसके 176 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार तक पहुंचने की संभावना है, जिससे समुद्र खतरनाक रूप ले सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक 6 जून वाला तूफान भी गुजरात और महाराष्ट्र दोनों राज्यों को प्रभावित करेगा।
गुजरात में इस चक्रवाती तूफान से सौराष्ट्र, पोरबंदर, अमरेली, जूनागढ़, राजकोट, भावनगर इत्यादि जिलों को काफी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार दक्षिण पूर्व तथा पूर्व मध्य अरब सागर के ऊपर निम्न दवाब का क्षेत्र बनने के कुछ ही समय बाद यह और तीव्र होकर डिप्रेशन में बदलेगा, जिसके बाद यह और तीव्र हो सकता है और साइक्लोन में बदलता हुआ यह गुजरात के द्वारका, ओखा तथा मोरबी से टकराता हुआ कच्छ की ओर जा सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक इस चक्रवाती तूफान के कारण गुजरात में 4 से 5 जून के बीच काफी तबाही हो सकती है। संभावना जताई जा रही है कि अन्य चक्रवाती तूफानों की भांति यह भी कच्छ के कंडला तथा आसपास के इलाकों में भारी तबाही मचा सकता है। पिछले वर्ष इन्हीं दिनों में सौराष्ट्र के समुद्री तट पर ‘वायु चक्रवात’ का खतरा मंडराया था किन्तु वह वेरावल के पास से गुजरकर समुद्र में ही खत्म हो गया था। हालांकि पास से गुजरने के बावजूद तेज हवाओं के कारण समुद्र किनारे बसे शहरों में काफी नुकसान हुआ था।
अब यह भी जान लें कि चक्रवात बनते कैसे हैं? जमीन की तरह ही समुद्र के ऊपर भी हवा होती है और यही हवा पृथ्वी के वायुमंडल में भी होती है, जो उच्च दबाब से सदैव निम्न दबाब वाले क्षेत्र की ओर बहती है। हवा गर्म होने पर हल्की हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगती है। जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो उसके ऊपर मौजूद हवा भी गर्म हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगती है। इसलिए उस जगह पर निम्न दबाब का क्षेत्र बनने लग जाता है और आसपास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दबाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए उस तरफ बढ़ने लगती है किन्तु पृथ्वी चूंकि अपनी धुरी पर लट्टू की भांति घूमती रहती है, इसलिए यह हवा सीधी दिशा में न आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई उस जगह की ओर आगे बढ़ती है, जिसे चक्रवात कहते हैं। भारतीय मौसम विभाग द्वारा किसी भी चक्रवाती तूफान के विकसित होने को आठ चरणों में विभाजित किया गया है। इस दृष्टि से देखा जाए तो इसके प्रथम तीन चरण होते हैं, निम्न दबाव का क्षेत्र, डिप्रेशन और फिर चक्रवाती तूफान। वर्तमान में जिस ‘हिका’ तूफान का अनुमान लगाया जा रहा है, अगर निम्न दबाव क्षेत्र के बाद वह डिप्रेशन और फिर चक्रवाती तूफान में बदलता है तो उसका नाम निसर्ग हो जाएगा।
वैसे मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह काफी असामान्य बात है कि जून माह में महाराष्ट्र के तटीय इलाकों से कोई चक्रवाती तूफान टकराएगा। मौसम विभाग के साइक्लोन ई एटलस के अनुसार वर्ष 1891 के बाद करीब 129 वर्षों के पश्चात् पहली बार अरब सागर में महाराष्ट्र के तटीय इलाके के आसपास समुद्री तूफान की स्थिति बन रही है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि हालांकि इससे पहले वर्ष 1948 और 1980 में भी दो बार इसी तरह का दवाब बनने से तूफान आने की स्थिति बनी थी लेकिन बाद में वह स्थिति टल गई थी।
04जून/ईएमएस
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अम्फान के बाद अब निसर्ग बरपाएगा कहर) मंडरा रहा है दो तूफानों का खतरा