नई दिल्ली । वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने धरती पर मौजूद सबसे स्वच्छ हवा वाले स्थान का पता लगा लिया है। यह हवा धरती के दक्षिणी छोर पर स्थित अंटार्कटिक महासागर के ऊपर बहती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह हवा संसार में सबसे स्वच्छ है। यह मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषक कणों से रहित है।
अपने तरह के इस पहले शोध में अंटार्कटिक महासागर के बायोएरोसोल का अध्ययन किया गया। कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस दौरान एक ऐसे वायुमंडलीय क्षेत्र का पता लगाया जिस पर मानव गतिविधियों के कारण कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज पत्रिका में गत प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र को सही मायने में पवित्र करार दिया। शोधकर्ताओं ने पाया कि अंटार्कटिक महासागर के ऊपर चलने वाली हवा मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले एरोसोल हवा में निलंबित कण से मुक्त थी। इस हवा में जीवाश्म ईंधन, फसलों की कटाई, उर्वरक और अपशिष्ट जल निपटारे आदि के कारण उत्पन्न होने वाले कण मौजूद नहीं थे। वायु प्रदूषण का कारण ये एरोसोल ही हैं। एयरोसोल हवा में ठोस-द्रव या गैस के रूप मे मौजूद रहने वाले कण हैं। मानवीय गतिविधियों के कारण तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से वैज्ञानिकों को धरती पर एक ऐसा स्थान ढूंढ़ने में काफी संघर्ष करना पड़ा, जो मानवीय गतिविधियों से अछूता हो। हालांकि, प्रोफेसर सोनिया क्रीडेनवीस और उनकी टीम ने संभावना जताई कि अंटार्कटिक सागर के ऊपर मौजूद हवा मानवीय गतिविधियों और धूल के कणों के कारण सबसे कम प्रभावित होगी। शोध में शामिल वैज्ञानिक और इस अध्ययन के सहलेखक थॉमस हिल ने कहा कि अंटार्कटिक महासागर के बादलों के गुणों को एरोसोल नियंत्रित करते हैं जो महासागर की जैविक प्रक्रिया से भी जुड़े हैं। ऐसा लगता है कि अंटार्कटिक महासागर दक्षिणी महाद्वीप से आए सूक्ष्मजीवों और पोषक तत्वों के फैलाव से अलग-थलग है।
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वैज्ञानिकों ने धरती पर सबसे स्वच्छ हवा वाला स्थान का लगाया पता