कोरोना से जंग छिड़ी है,जीतने वाले हम होंगे।
देश बचाओ तो हम सबके,हाथों में परचम होंगे।।
ये बीमारी आफ़त बनकर दुनियाभर में छाई है।
नादानी मत करना कोई,जान पे अब बन आई है।।
इस विपदा का सारे देशों की जनता पर संकट है।
चारों ओर कहर छाया है, मानवता पर संकट है।।
जीत गए तो ख़ुशहाली है,हार गए मातम होंगे।
कोरोना से जंग छिड़ी है,जीतने वाले हम होंगे।।
जंग निहत्थे ही लड़ना है,हाथ कोई हथियार नहीं।
इस बीमारी से लड़ने का अबतक भी उपचार नहीं।।
सिर्फ़ सजगता,संयम से इस पर क़ाबू कर पाएँगे।
विजय हमारी निश्चित होगी जीतके हम दिखलाएँगे।।
ना कोई हथियार चलेगा और ना एटम बम होंगे ।।
कोरोना से जंग छिड़ी है,जीतने वाले हम होंगे।।
घर से बाहर मत आना तुम,दूर सभी से रहना है।
सीमित है अब आज़ादी भी,कष्ट ये सबको सहना है।।
ज़ात-समाजों,रंगों में ये फ़र्क़ नहीं कर पाती है।
भेद न समझे ,बीमारी ये छूने से आ जाती है।।
कोविड ने ये तयकर डाला,कौन जहाँ से कम होंगे।।
कोरोना से जंग छिड़ी है,जीतने वाले हम होंगे।।
अनुशासन का जीवन जीकर रब से हम फरियाद करें ।भूल गए जिस अपनेपन को,मानवता को याद करें ।।
ख़ुद से ख़ुद की बात करेंगे,सीखेंगे तन्हाई में ।
परिवारों का मोल समझकर खुश होंगे अँगनाई में।।
प्यार का हम विस्तार लिखेंगे अपने साथ क़लम होंगे।
कोरोना से जंग छिड़ी है,जीतने वाले हम होंगे।।
ये संग्राम कठिन है लेकिन कोरोना ही हारेगा ।
मानवता की अगवानी को फिर संसार पुकारेगा।।
अपनी बुद्धि काम में लाओ और अच्छा व्यवहार करो। मन से सारे भेद मिटा दो और सभी से प्यार करो।
संकल्पों के दीप जलाओ वरना तम ही तम होंगे।।
कोरोना से जंग छिड़ी है,जीतने वाले हम होंगे।।
हिम्मत रखिये घोर मुसीबत आन पड़ी, ग़म ही ग़म हैं।
कोशिश पूरी करना होगी,साधन अपने कुछ कम हैं।।
भाईचारगी और सेवा से थाम तिरंगा आएँगे।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई साथ सभी फहराएँगे।।
प्यार की फिर से बारिश होगी,ख़ुशियों के मौसम होंगे।
कोरोना से जंग छिड़ी है,जीतने वाले हम होंगे।।
(लेखक-अब्दुल सलाम खोकर रतलामी)