नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि कोविड-19 लॉकडाउन संबंधी सरकार के दिशानिर्देश मेडिकल इमरजेंसी में व्यक्ति को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति देते हैं। उन्हें ई-पास के लिए आवेदन करना होगा जो सरकार उपलब्ध कराएगी और वे राजधानी की सीमा में प्रवेश कर सकेंगे।
दिल्ली सरकार ने कहा कि उसके आपदा प्रबंधन प्राधिकार डीडीएमए ने 'अनलॉक 1.0' के दौरान एक आदेश जारी कर बताया है कि किन गतिविधियों की अनुमति है और किन पर पाबंदी है, उसके दिशानिर्देश मेडिकल इमरजेंसी में पड़ोसी राज्यों के किसी भी व्यक्ति को राजधानी दिल्ली में प्रवेश की अनुमति देते हैं। दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों संजय घोष और ऊर्वी मोहन ने चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान के समक्ष यह जानकारी रखी। वकीलों की बातें सुनने और डीडीएमए के एक जून का आदेश देखने के बाद बैंच ने वकील कुशाग्र कुमार की याचिका का निपटारा कर दिया। कुशाग्र कुमार ने अपनी याचिका में अनुरोध किया था कि दिल्ली की सीमाओं को तुरंत खोला जाए ताकि एनसीआर और अन्य राज्यों के निवासी राजधानी दिल्ली में स्थित केन्द्रीय अस्पतालों और मेडिकल सुविधाओं का लाभ ले सकें। याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह एक जून के अपने आदेश को विभिन्न विभागों की वेबसाइटों पर अपलोड करे और उसे प्रमुखता से पेश करे ताकि लोग आसानी से उस तक पहुंच सकें।
'आप' सरकार ने एक जून से एक सप्ताह के लिए दिल्ली की सीमाएं सील कर दी हैं और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि जैसे ही हम सीमा खोलेंगे पूरे देश से लोग इलाज के लिए दिल्ली आएंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों को दिल्लीवासियों के लिए आरक्षित या सुरक्षित रखना चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली-गुरुग्राम, दिल्ली-गाजियाबाद और दिल्ली-नोएडा सीमाएं एक सप्ताह के लिए सील हैं, सिर्फ आवश्यक सेवा प्रदाताओं को आवागमन की अनुमति है और कर्मचारी अपना पहचान-पत्र दिखाकर सीमा पार कर सकते हैं।
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मेडिकल इमरजेंसी में व्यक्ति को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति