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सभी अस्पतालों को कोरोना मरीजों का इलाज करना पड़ेगा: सीएम केजरीवाल

सभी अस्पतालों को कोरोना मरीजों का इलाज करना पड़ेगा: सीएम केजरीवाल


नई दिल्ली । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि जिन लोगों की वास्तविक समस्या है, उन्हें परेशानी हो। मसलन, कल एक अस्पताल आया। उसने कहा कि हमारा कैंसर अस्पताल है और सिर्फ कैंसर मरीजों का ही इलाज होता है। वहां यदि कोरोना के मरीज आते हैं, तो दिक्कत होगी। उन्होंने यह भी बताया कि उनका एक और अस्पताल है, जहां सभी का इलाज होता है, तो उसमें 40 प्रतिशत बेड रिजर्व कर देते हैं। यह बहुत अच्छी बात है। सरकार ने उनकी बात मान ली। इसी तरह से सभी की छोटी-बड़ी समस्याओं का समाधान कर रहा हूं, लेकिन सभी को कोरोना मरीजों का इलाज करना पड़ेगा और इस पर कोई बातचीत नहीं होगी।
सीएम केजरीवाल ने कहा कि पहली बार इस तरह का कोई एप देश के अंदर ही नहीं, बल्कि दुनिया के अंदर बना है, जो हर अस्पताल के अंदर बेड और वेंटिलेटर का डेटा जनता के सामने प्रदर्शित कर रहा है और जनता जाकर मांग कर रही है। मुझे खुशी है कि मीडिया फोन करके प्रतिदिन एक-एक अस्पताल की रिपोर्ट ले रही है। वे कह रहे हैं कि अस्पताल को फोन किया, उसने मना कर दिया। लेकिन इसका थोड़ा-बहुत फायदा भी हुआ है। मंगलवार को जब हमने एप लांच किया था, तब दिल्ली में सभी अस्पतालों में कुल 2800 मरीज थे और उसमें से अधिकतर दिल्ली सरकार के अस्पताल में थे। लेकिन आज दिल्ली के अंदर 3900 मरीज हैं। इसमें प्राइवेट अस्पतालों में करीब 1100 मरीज जुड़े हैं। यह सब इस एप की वजह से हो सका है, क्योंकि अब लोग सशक्त हो गए हैं और जाकर बेड मांग रहे हैं। 
सीएम केजरीवाल ने कहा कि इसके बाद भी कुछ लोगों को बेड को लेकर तकलीफ हो रही है। सोशल मीडिया पर देखा कि कोई मरीज एप पर देख कर कई अस्पतालों में गया, लेकिन उसे बेड नहीं मिला। यह सिर्फ उन चंद अस्पतालों की बदमाशी है, जो बेड देने से इन्कार रहे हैं। सीएम केजरीवाल ने कहा कि मुझे कुछ दिन और दीजिए। यदि यह अस्पताल नहीं माने, तो फिर हम सख्त कार्रवाई करने से बिल्कुल भी नहीं हिचकेंगे। उन्होंने सभी अस्पतालों से कहा कि आपको कोरोना के मरीजों का इलाज करना पड़ेगा। इसके साथ ही, हम एक और अभ्यास कर रहे हैं कि दिल्ली सरकार का एक मेडिकल प्रोफेशनल हर प्राइवेट अस्पताल के रिसेप्शन पर बैठेगा। वह हमें जानकारी देगा कि उस अस्पताल में कितने बेड भर गए और कितने खाली हैं। अगर कोई मरीज जाएगा, तो वह सुनिश्चित करेगा कि उसे बेड मिले। इस तरह जो चंद अस्पताल बेड होते हुए भी मना करते हैं, बेड्स की ब्लैक मार्केटिंग करते हैं, तो अब हम दिल्ली के अंदर उनका यह धंधा बंद करेंगे। 
सीएम केजरीवाल ने कहा कि कुछ लोगों ने बताया है कि अगर कोई मरीज गंभीर है, उसे सांस की तकलीफ है। सांस की सेचुरेशन लेवल काफी कम हो गया। लेकिन अभी उसका कोरोना का टेस्ट नहीं हुआ है। वह अस्पताल जाता है, तो उसे संदिग्ध मरीज कहते हैं। क्योंकि अभी उसमें कोरोना की पुष्टि नहीं हुई है। ऐसे मरीज को सभी अस्पताल लेने से मना कर देते हैं। कहते हैं कि पहले जांच करा कर आओ। वह मरीज कहां से जांच करा कर आएगा। उसकी जांच अस्पताल ही करेगा। दिल्ली सरकार ने इस समस्या को बेहद गंभीरता से लिया है और दिल्ली सरकार आज आदेश जारी कर रही है कि किसी भी संदिग्ध मरीज को लेने से कोई भी अस्पताल मना नहीं करेगा। यदि वह आता है और संदिग्ध है, तो उसे अस्पताल कोरोना का मरीज मानकर इलाज शुरू कर दें। उन्हें लगता है कि वह कोरोना का मरीज है, तो पीपीई किट पहन कर उसका इलाज शुरू कर दें। उसे आॅक्सीजन देकर उसकी जान बचा लिया जाए। दिल्ली सरकार की तरफ से जारी किए जा रहे आदेश के तहत दिल्ली में अब किसी भी संदिग्ध मरीज का इलाज करने से अस्पताल में मना नहीं किया जा सकेगा। अस्पताल ही उसका टेस्ट कराएगा। जांच के बाद उसमें कोरोना की पुष्टि होती है, तो उसे कोरोना वार्ड और नहीं पुष्टि होने पर उसे नाॅन कोरोना वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। 
सीएम केजरीवाल ने बताया कि कुछ लोग कह रहे हैं कि दिल्ली में जांच बंद हो गई है। उन्होंने साफ किया कि दिल्ली में जांच बंद नहीं हुई है। प्राप्त डेटा अनुसार आज 5300 सेंपल की जांच हुई है। दिल्ली में सरकारी और प्राइवेट को मिलाकर कुल 42 लैब कोरोना की जांच करती हैं। उनमें से 6 लैब ठीक से काम नहीं कर रही थीं, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। 36 लैब अभी भी काम कर रही हैं। उन्होंने सवाल किया कि जो लैब गलत काम कर रही हैं, उनको बचाने की कोशिश क्यों की जा रही है? यदि किसी को जांच कराना है, तो सभी सरकारी असप्तालों और कुछ प्राइवेट अस्पतालों में फ्लू क्लीनिक बना हुआ है। आप किसी भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल के फ्लू क्लीनिक में जाकर जांच करा सकते हैं। दिल्ली सरकार की पूरी दिल्ली में 17 कोविड टेस्टिंग सेंटर है, वहां पर भी जांच होती है। इन 36 में से जितनी भी प्राइवेट लैब हैं, वहां पर सीधे संपर्क करके जांच करा सकते हैं।
 

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