सारी दुनिया वर्तमान में कोरोना जानलेवा महामारी से जूझ रही है। कोरोना से वचाव की कोई दवा आज तक नहीं बनी है। भारत में कोरोना से पीड़ितों की संख्या दो लाख से आगे निकल रही है। भारत के लिये सन 2020 अनेक आपदायें लेकर आया है। कोरोना से तो हम संघर्ष कर ही रहे हैं। भूकंप आ रहे हैं। गत माह आये समुद्री तूफान ने बंगाल और उडीसा में भारी तबाही मचायी। हाल ही में आये समुद्री निसर्ग तूफान से देश के अनेक राज्यों में हाहाकार मचा दिया है। लम्बे समय बाद देश में टिड्डी दल ने हमला बोला, टिड्डी दल ने देश के अनेक राज्यों में खेतों में हमला कर फसलों को चट कर दिया। कोरोना महामारी से संघर्षरत देशवासी इन आपदाओं से भी जूझ रहे हैं।
कोरोना महामारी फैलने का एक कारण चीन में मांसाहार के बढ़ते प्रचलन को माना है। चीनवासियों ने जहरीले जीव जन्तुओं को अपने भोजन का अंग बनाकर कोरोना महामारी से सारी दुनिया को प्रभावित कर दिया। आज सारे विश्व में मांसाहार को छोड़कर शुद्ध शाकाहारी भोजन की सलाह दुनिया के बड़े वैज्ञानिक दे रहे है।
जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महाबीर जिन्हें अंहिसा का अवतार माना जाता है, उन्होंने ने दुनिया को "जिओ और जीने दो" का नारा दिया था। जैन धर्म कहता है जिसने जन्म लिया उसे जीने का अधिकार है। पशु पक्षियों की हत्या कर हम उन्हें अपनी जिव्हा के स्वाद के लिये भोजन का प्रमुख अंग बनाकर निरंतर पाप कर रहे हैं। मांसाहार से विश्व में प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है तथा नित नई बीमारियाँ जन्म लेकर दुनिया को चपेट में ले रही है।
अभी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही है और इसका कारगर इलाज भी नहीं ढ़ूंढ पायी है। ऐसे में आस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ और वैज्ञानिक डाँ माइकल ग्रेगर ने लोगों को जागरूक करते हुए कहा है कि चिकन का मांस उत्पादन रोकना बेहद जरूरी है। नहीं तो जिस तरह से आज के समय में बड़े स्तर पर चिकन फार्मिग हो रही है वह एक और खतरनाक महामारी की बजह बन सकती है। वह महामारी कोरोना से भी अधिक घातक और जानलेवा होगी। डाँ ग्रेगर के अनुसार चिकन फार्म में पलने बाला वायरस एपोकैलिक इतना घातक होगा कि दुनिया की आधी जनसंख्या को समाप्त कर सकता है।
आस्ट्रेलियन न्यूज साइट्स के अनुसार डाँ ग्रेगर का कहना है कि पोल्ट्री फार्म ( मुर्गी पालनघर) में पनप रहे रोग मानवता के लिये कोरोना से अधिक घातक खतरा है। दुनिया की भोजन की आदतों केः बारे में और भविष्य में इसके कारण होने बाले खतरों के बारे में अपनी पुस्तक
"हाउ टु सर्वाइव ए पेंडेमिक" में डाँ ग्रेगर ने लिखा है कि जिस तरह से पूरी दुनिया अपनी खानपान की आदतों को लेकर मांसाहार पर निर्भर हो रही है इसके चलते हम दुनिया को कोविड-19 से भी अधिक घातक वायरस की जद में डाल रहे हैं। ग्रेगर कहते हैं कि यदि ऐसा ही चलता रहा और हम समय रहते सतर्क नहीं हुए तो आने बाले समय में कोरोना से भी बड़ी बीमारी आ सकती है, जिसकी वजह पोल्ट्री फार्म में चिकन का मांस निर्यात होगा। यह महामारी एपोकैलिक वायरस के कारण फैलेगी,जो पोल्ट्री फार्म में पनप रहे रोगों के कारण मानव जाति के लिये खतरनाक साबित हो सकती है।
अपनी पुस्तक में ग्रेगर आने बाले समय को संभावित महामारी से बचने का तरीका सुझाते हुए कहते हैं कि सबसे पहले तो हमे शाकाहारी और वेगाँन भोजन को अपनाया होगा। इसके साथ ही चिकन की फार्मिग के तरीको को बेहतर बनाना होगा। क्योंकि जिस तरह के वातावरण या माहौल में आज के समय में चिकन का उत्पादन किया जा रहा है वह माहौल जानलेवा वायरस के लिये एक दम फ्रेडली है।
कोरोना महामारी के वैश्विक प्रकोप से दुनिया के अनेक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक यह बात कह रहे है हमे स्वस्थ्य रहना है तो मांसाहार को त्यागकर शाकाहार अपनाया होगा। भारत ही नहीं दुनिया के होटलों में शाकाहारी भोजन की थाली जैन थाली के नाम से लोकप्रिय हो रही है। अब शाकाहारी भोजन को जैन थाली के नाम से जाना जाता है। दुनिया को महामारियों के प्रकोप से बचाना है तो शाकाहार को अपनाना होगा।
नोट:-लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष है।
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(लेखक-विजय कुमार जैन )
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एपोकैलिक वायरस आने पर आधी दुनिया समाप्त हो जायेगी।