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जिंदगी से क्यों हार गए संगीतकार वाजिद खान! 

जिंदगी से क्यों हार गए संगीतकार वाजिद खान! 

कोरोनावायरस  के कहर के बीच बॉलीवुड से एक ओर मशहूर शख्सियत अलविदा हो गई। बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार वाजिद खान का मात्र 42 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। साजिद और वाजिद दो भाइयों की जोड़ी फिल्म इंडस्ट्री में काफी चर्चित रही।  वाजिद खान के निधन की वजह उनकी किडनी खराब हो जाने पर किये गए प्रत्यारोपण के बाद संक्रमण होने बताया गया है। किडनी के इलाज के दौरान उनका टेस्ट किया गया तो उनकी रिपोर्ट में कोरोना  पॉजिटिव आया था। वह एक हफ्ते से कोरोना पॉजिटिव के चलते जीवन से संघर्ष कर रहे थे।
संगीतकार वाजिद खान  के निधन से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर व्याप्त है।
साजिद-वाजिद  ने सबसे पहले 1998 में सलमान खान की फिल्म 'प्यार किया तो डरना क्या' के लिए संगीत दिया था।सन 1999 में उन्होंने सोनू निगम की एल्बम 'दीवाना' के लिए संगीत दिया, जिसमें "दीवाना तेरा", "अब मुझसे रात दिन" और "इस कदर प्यार है" जैसे गाने शामिल थे। उसी साल उन्होंने फिल्म' हैलो ब्रदर' के लिए संगीत निर्देशकों के रूप में काम किया और 'हटा सावन की घटा', 'चुपके से कोई और' और 'हैलो ब्रदर' जैसे गाने लिखे थे।
 इसके बाद इस जोड़ी ने एक के बाद एक हिट फिल्म के लिए संगीत दिए।इसमें चोरी चोरी,  मुझसे शादी करोगी, पार्टनर, वांटेड, दबंग (1,2 और 3) जैसी फिल्में शामिल हैं।साजिद-वाजिद की जोड़ी ने अभी हाल ही में सलमान खान के लिए 'भाई-भाई' कम्पोज किया था। एक गायक के रूप में वाजिद खान ने सन 2008 में फिल्म पार्टनर के लिए गाया भी था।
वाजिद न सिर्फ जबरदस्त म्यूजिक कंपोजर थे, बल्कि दुनिया उनकी गायकी की भी दिवानी थी। उन्होंने सलमान खान की फिल्म 'वांटेड' में ‘मेरा है जलवा’ गाना गाया था। वहीं उन्होंने  सलमान और करीना कपूर खान पर फिल्माया गाना ‘फेविकोल से’ भी गाया था। इसके अलावा अक्षय कुमार की फिल्म ‘रॉउडी राठौर’ का गाना ‘चिंता ता चिता चिता’ भी वाजिद ख़ान ने ही गाया था। बॉलीवुड में वाजिद खान को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाएगा ,जिन्होंने न सिर्फ अपनी मधुर धुनों से बल्कि अपनी खनकती आवाज से भी दर्शकों और श्रोताओं के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। 
वाजिद खान का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का रहने वाला है। वाजिद खान को संगीत की कला विरासत में मिली। उनके पिता उस्ताद शराफत अली खान जाने-माने तबला वादक और म्यूज़िक अरेंजर्स थे।
 वाजिद के पिता ने भी फिल्म इंडस्ट्री के कई प्रसिद्ध संगीतकारो के साथ काम किया था। वाजिद खान के दादा उस्ताद अब्दुल लतीफ खान पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुए संगीतकार और वादक थे। वाजिद के दादा सारंगी बजाया करते थे। वाजिद खान और उनके भाई साजिद खान ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता उस्ताद शराफत अली खान से ली।
 बॉलीवुड की कई हिट फिल्मों में साजिद- वाजिद की जोड़ी ने कमाल कर दिखाया। वाजिद के बारे में कहा जाता है कि वह एक बहुत ही सीधे साधे और हंसमुख इंसान रहे। साजिद-वाजिद की जोड़ी ने सोनू निगम की एल्बम 'दीवाना' में भी संगीत दिया था। इस एल्बम के संगीत को काफी पसंद किया गया।
वाजिद रिएलिटी शो सारेगामापा सिंगिंग सुपरस्टार, सारेगामापा 2012 में मेंटर भी रहे थे और उन्होंने टेलीविजन रियलिटी शो बिग बॉस-4 एवं बिग बॉस 6 के लिए टाइटल ट्रैक भी बनाया था। इसके अलावा  उनकी इस जोड़ी ने आईपीएल-4 का थीम सांग भी तैयार किया था। फिल्म दबंग में अपने दमदार संगीत के लिए उन्हें 2011 में फिल्मफेयर पुरस्कार से भी नवाजा गया था। सबसे ज्यादा दुख की बात यह है की  उनके परिवार के कुछ सदस्यों को वाजिद शव तक पहुंचने नहीं दिया गया और उनकी मां को तो अभी तक बताया भी नहीं गया है कि उनके बेटे वाजिद अब दुनिया में नहीं रहे। वाजिद खान लखनऊ जाने पर कहा करते थे कि यहां की गलियों में कितना सुकून हैं,' मै जब भी यहां आता हूं, यहीं रुक जाना चाहता हूं। लेकिन काम इसकी इजाज़त नहीं देता ... ।'यह बात वाजिद खान ने सन 2018 में लखनऊ के लिए कही थी। वो एक टीवी शो के प्रमोशन के लिए लखनऊ आए थे।
जानी मानी गायिका अनुपमा राग बताती हैं कि उन्होंने अपने कॅरियर का दूसरा गाना वाजिद खान के साथ गाया था। अनुपमा कहती हैं कि वाजिद हमेशा नई प्रतिभाओं को मौका देते थे। वह बढ़िया कम्पोज़र तो थे ही, बेहतरीन इंसान भी थे। अनुपमा बताती हैं कि वह जब भी लखनऊ आते तो हम लोग उनसे जरूर मिलते और बाते करते। वाजिद को लखनऊ घूमना बहुत पसंद था। खास तौर से यहां का खाना उन्हें बहुत पसंद था।भले ही सब लाेग काफी पहले सहारनपुर से जाकर मुंबई में बस गए हो, लेकिन उनका नाता सहारनपुर से कभी नहीं टूटा । कभी कभी वह सहारनपुर भी आते और लोगों से मिलते  थे। यहां के लोग भी उनसे खुद का नाम जोड़ कर गर्व महसूस करते हैं।  सहारनपुर के मोहल्ला सराय मर्दान अली में मशहूर तबला वादक उस्ताद शराफत अली खान रहते थे। वह 50 साल पहले सहारनपुर छोड़कर मुंबई में जाकर बस गए। वहीं पर वाजिद अली खान का जन्म हुआ था।वाजिद के निधन से सहारनपुर ही नही समूचे उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में भी शोक व्याप्त है।
(लेखक-श्रीगोपाल नारसन)

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