नई दिल्ली । दिल्ली में जहां दूसरे राज्यों के मरीजों के इलाज पर रायशुमारी चल रही है, वहीं नोएडा-गाजियाबाद के 8 अस्पतालों में एक बीमार गर्भवती 14 घंटे तक इलाज के लिए भटकती रही। कराहती महिला की पीड़ा का अंत तब हुआ, जब शुक्रवार रात एंबुलेंस में ही उसकी जान चली गई। उसके साथ उस मासूम की जान भी चली गई , जिसने अभी दुनिया ही नहीं देखी थी। खोड़ा के आजाद विहार में रहने वाली नीलम (30) का टाइफाइड का इलाज चल रहा था। शुक्रवार सुबह तबीयत खराब होने पर उसे नोएडा ईएसआईसी अस्पताल ले जाया गया।
नीलम के पति विजेंद्र सिंह का कहना है कि वहां भर्ती न किए जाने परपहले जिला अस्पताल और फिर फोर्टिस, जेपी, शारदा व ग्रेटर नोएडा के जिम्स ले गए, मगर इलाज नहीं मिला। वैशाली स्थित मैक्स से भी मायूसी मिली। तब तक नीलम जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही थी। इसके बाद परिजन दोबारा जिम्स की ओर चले, मगर इस बीच एंबुलेंस में उसकी सांसें टूट गईं। गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एल.वाई ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। सीएमओ और एडीएम इसकी जांच करेंगे और दोषी पर कार्रवाई होगी। अस्पतालों को संवेदनशील होने की जरूरत है। मरीज को आपात स्थिति में इलाज मिलना चाहिए। सभी अस्पतालों को इस संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं।
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नोएडा-गाजियाबाद के 8 अस्पतालों में 14 घंटे तक इलाज को भटकती रही गर्भवती की मौत