नई दिल्ली । नरेला स्थित सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाए जाने के बाद इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। नरेला के स्थानीय निवासियों ने विरोध करने हुए अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इससे पहले यह लोग मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस फैसले को बदलने की मांग कर चुके हैं। पिछले दिनों दिल्ली सरकार ने राजा हरिश्चंद्र और दीपचंद बंधु अस्पताल को कोविड़ अस्पताल में बदल दिया था। इससे कोविड़ मरीजों के लिए 400 बिस्तर और उपलब्ध हो गए थे। इसके बाद इस सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले स्थानीय निवासियों ने सरकार के फैसले का विरोध शुरू कर दिया। इलाके में काम करने वालीं कई संस्थाओं के मध्यम से स्थानीय लोगों ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से फैसले को बदलने की गुहार लगाई। कई दिन बीत जाने के बाद जब कोई जवाब नहीं मिला तो स्थानीय लोगों ने शुक्रवार को अस्पताल के बाहर लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया। स्थानीय निवासी और धरने में शामिल धर्मवीर खत्री ने बताया कि अस्पताल दिल्ली हरियाणा के बार्डर पर मौजूद हैं। ऐसे में यहां अक्सर हाईवे पर दुर्घटना होने पर इसी अस्पताल में घायलों को लाया जाता है, क्योंकि दूर-दूर तक कोई बड़ा अस्पताल नहीं हैं। ऐसे में अब इस अस्पताल में आम बीमारियों और दुर्घटना के मरीजों का उपचार नहीं होगा तो उनकी जान पर खतरा बढ़ जाएगा। सरकार का दूसरा अस्पताल बवाना में हैं जो यहां से 15 किलोमीटर दूर है। अगर गंभीर हालत में किसी मरीज को वहां लेकर जाएंगे तो वह उपचार न मिलने के चलते रास्ते में ही दम तोड़ देगा।
रीजनल नार्थ
नरेला में कोविड अस्पताल का विरोध