नई दिल्ली । भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, गुवाहाटी के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों ने मुंह के स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के पूर्वानुमान और तेज़ निदान में सहायता करने के लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एल्गोरिदम विकसित किया है। आईएएसएसटी के केंद्रीय कम्प्यूटेशनल और न्यूमेरिकल विज्ञान विभाग में डॉ. लिपी बी महंता के नेतृत्व वाले अनुसंधान समूह द्वारा विकसित यह ढांचा मौखिक स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा की ग्रेडिंग में मदद करेगा।
इस अध्ययन के लिए किसी भी मानक मौखिक कैंसर डाटासेट की अनुपलब्धता की भरपाई करने के लिए कई सहयोगों के माध्यम से वैज्ञानिकों द्वारा एक स्वदेशी डेटासेट विकसित किया गया था। विभिन्न अत्याधुनिक एआई तकनीकों को टटोलते हुए और उनकी प्रस्तावित पद्धति को इस्तेमाल करके देखते हुए, वैज्ञानिकों ने मौखिक कैंसर की ग्रेडिंग में अभूतपूर्व सटीकता हासिल की है। पहले से प्रशिक्षित गहरे कॉन्वोन्यूशनल न्यूरल नेटवर्क (सीएनएन) का उपयोग करके ट्रांसफर के जरिए दो पद्धतियों को लागू करके ये अध्ययन किया गया था। इस वर्गीकरण की समस्या के लिए सबसे उपयुक्त मॉडल ढूंढ़ने के लिए एलेक्सनेट, वीजीजी-16, वीजीजी-19 और रेसनेट-50 इन 4 आवेदक पूर्व-प्रशिक्षित मॉडलों को चुना गया और इस समस्या पर खरा उतरने के लिए एक प्रस्तावित सीएनएन मॉडल को विकसित किया था। हालांकि, रेजनेट-50 मॉडल द्वारा 92.15 फीसदी की उच्चतम वर्गीकरण सटीकता प्राप्त की गई थी, लेकिन प्रायोगिक निष्कर्ष बताते हैं कि इस प्रस्तावित सीएनएन मॉडल ने 97.5 फीसदी की सटीकता प्रदर्शित करते हुए इस स्थानांतरण सीखने की पद्धति को पीछे छोड़ दिया। ये अध्ययन न्यूरल नेटवर्क जर्नल में प्रकाशित किया गया है। अब तकये समूह इस एल्गोरिदम को उचित सॉफ्टवेयर में परिवर्तित करने के लिए तैयार है ताकि फील्ड ट्रायल शुरू किए जा सकें। स्वास्थ्य और आईटी क्षेत्रों के बीच की वर्तमान खाई को देखते हुए यह वो अगली चुनौती है जिसका सामना करने को ये समूह तैयार है। डॉ. महंत की आकांक्षा है कि इन चुनौतियों को पूरा करने के लिए तमाम उन्नत बुनियादी ढांचा मदद मिल जाए और वे महसूस करते हैं कि इस सॉफ्टवेयर का अस्पतालों में सक्रिय रूप से परीक्षण करने की आवश्यकता है, ताकि यह वास्तव में मजबूत, ज्यादा सटीक और वास्तविक समय में काम के योग्य बन सके। पुरुषों में सभी कैंसर का लगभग 16.1 फीसदी और महिलाओं में 10.4 फीसदी मौखिक कैंसर है, और पूर्वोत्तर भारत में यह तस्वीर और भी ज्यादा खतरनाक है। सुपारी और तम्बाकू के अधिक सेवन के कारण अन्य कैंसर की तुलना में ओरल कैविटी कैंसर की पुनरावृत्ति दर भी ऊंची होती है।
आरोग्य
पुरुषों में सभी कैंसर का लगभग 16.1 फीसदी, महिलाओं में 10.4 फीसदी मौखिक कैंसर