नई दिल्ली । विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र पाउडर धातु शोधन एवं नई सामग्री के लिए अंतरराष्ट्रीय उन्नत अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने एक दुर्लभ धातु आधारित मैग्नेटोकैलोरिक सामग्री का निर्माण किया है जिसका कैंसर के इलाज में प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। एआरसीआई द्वारा विकसित इस मैग्नेटोकैलोरिक वस्तु (ऐसी वस्तु जिसमें एक चुंबकीय क्षेत्र लगाने या हटाने से वस्तु गर्म या ठंडा हो सकती है) का चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी में परीक्षण चल रहा है। इस शोध कार्य पर एक शोध पत्र एलायड एंड कंपाउंड पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है। चिकित्सा सामग्री के क्षेत्र में तरक्की से चुंबकीय हाइपरथर्मिया (असाधारण रूप से उच्चतर तापमान) का विकास होगा जिससे कैंसर के इलाज में कीमोथेरपी जैसी प्रक्रिया के दुष्प्रभावों के मुद्दों का समाधान निकालने की कोशिश की जा सकती है। चुंबकीय हाइपरथर्मिया में सूक्ष्म चुंबकीय पदार्थों को कुछ गौस के बदलते चुंबकीय क्षेत्रों में रखा जाता है जो चुंबकीय रिलैक्सेशन के नुकसान होने की वजह से ऊष्मा पैदा करता है। आमतौर पर ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए 40 से 45 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की जरूरत पड़ती है। हालांकि, चुंबकीय हाइपरथर्मिया (असामान्य तौर पर उच्चतर तापमान) में तापमान पर नियंत्रण रखने की कमी एक प्रमुख खामी है जिससे शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं को क्षति पहुंच सकती है और इससे बड़े हुए रक्त दबाव इत्यादि जैसे दुष्प्रभाव भी होता है। इन समस्याओं को मैग्नेटोकैलोरिक सामग्रियों का इस्तेमाल कर दूर किया जा सकता है क्योंकि यह नियंत्रित ऊष्मा उपलब्ध कराता है। मैग्नेटोकैलोरिक सामग्री चुंबकीय क्षेत्र लागू करने या हटाने पर क्रमश: गर्म होता है या ठंडा होता है। इसके इस्तेमाल का फायदा यह है कि चुंबकीय क्षेत्र हटाते ही इसमें शीतलन का प्रभाव दिखने लगता है जबकि चुंबकीय सूक्ष्म कणों के मामले में चुंबकीय क्षेत्र हटाने पर भी जरूरत से ज्यादा तापमान बना रहता है।
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एआरसीआई ने कैंसर के इलाज के लिए मैग्नेटोकैलोरिक सामग्री का किया निर्माण