नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस जांच रिपोर्ट दाखिल करने की समय सीमा नहीं बढ़ाई गई है। पुलिस द्वारा सीआरपीसी की धारा 167 के तहत 90/60 दिन में जांच रिपोर्ट फाइनल रिपोर्ट पेश नहीं करने पर अभियुक्त डिफॉल्ट जमानत का हकदार होगा। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने ये मौखिक टिप्पणी एक केस की सुनवाई के दौरान की। यह केस कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कोर्ट और ट्रिब्यूनलों में मुकदमे फाइल करने की समय सीमा बढ़ाने से संबंधित था। कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि सीआरपीसी में जांच की 90 दिन की समय सीमा का विस्तार किया जाए। ये नहीं हो सकता, यदि 90 दिन में अंतिम रिपोर्ट दायर नहीं की जाती है तो अभियुक्त जमानत पर बाहर सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले नोटिस जारी किया है। पिछले हफ्ते यह याचिका मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गई है। संज्ञान लेकर मुकदमे फाइल करने की समय सीमा में विस्तार कर दिया था। बाद में छह मई को एक और अधिसूचना जारी कर ये समय विस्तार आर्बिट्रेशन एंड कंसिलियशन एक्ट और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट धारा 138 के तहत चेक बाउंस मामले में भी अगले आदेश तक लागू कर दिया था। इस मामले में विवाद तब हुआ जब राजस्थान, उत्तराखंड और मद्रास हाईकोर्ट के जमानत याचिकाओं की सुनवाई पर अलग-अलग फैसले आए। मद्रास हाईकोर्ट की दो बेंच के फैसले अलग थे। एक बेंच ने कहा पुलिस को भी जांच रिपोर्ट दाखिल करने में समय सीमा से आजादी दी गई है। कोविड के दौरान जब आवागमन प्रतिबंधित है तो जांच का काम कैसे समय पर हो सकता है। वहीं दूसरी बेंच ने उसके उक्त फैसला दिया कि सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा बढ़ाने की अधिसूचना पुलिस पर लागू नहीं होती। ये मुकदमे दायर करने के संबंध में है। ये मामला पिछले माह सुप्रीम कोर्ट आ गया था। शीर्ष कोर्ट अब यह तय करेगा कि पुलिस जांच की अवधि पर उपरोक्त समय सीमा लागू होगी या नहीं।
लीगल
पुलिस जांच रिपेार्ट दाखिल करने की नहीं बढ़ाई गई सीमा: सुप्रीम कोर्ट