नई दिल्ली । एक बच्चे ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर दिल्ली सरकार द्वारा पाबंदियों में ढील देने और कोरोना वायरस के बिना लक्षण वाले मरीजों की जांच नहीं करने के कारण उसे और अन्य बच्चों के समक्ष खतरे को रेखांकित किया। दो साल के बच्चे ने अपने पिता के जरिए दायर याचिका में कहा है कि बिना लक्षण वाले मरीजों की जांच बंद करने और अस्पतालों में बेड तथा वेंटिलेटर की कमी के कारण स्थिति बिगड़ गई है।
बच्चे ने कहा कि वह एक संयुक्त परिवार में रहता है जिसके सदस्य काम पर जाते हैं। वे दिल्ली सरकार द्वारा सोमवार से प्रभावी अन-लॉकडाउन के कारण नियमित दफ्तर जाएंगे जिससे उसे और अन्य बच्चों को तथा दिल्ली के निवासियों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का काफी खतरा है। याचिका को मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। एक जून से शुरू हुए अनलॉक वन के दौरान देशभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी से सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं। केंद्र को विभिन्न राज्यों से जो जानकारी मिली है उसमें इसकी वजह छूट के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और सुरक्षात्मक उपायों के दिशानिर्देश पर अमल ना हो पाना है। जल्द ही सरकार दिशानिर्देशों के पालन के लिए सख्ती कर सकती है।
देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लंबे समय तक लॉकडाउन नहीं रखा जा सकता है, लेकिन छूट के दौरान संक्रमितों की संख्या चिंता का सबब बनती जा रही है। दूसरे देशों में जहां लॉकडाउन के बाद संख्या में कमी आई है, वहीं भारत के हालात विपरीत हैं। कोरोना की मृत्यु दर में कमी थोड़ी राहत देती है, पर दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों के हालात अब भी काबू में नहीं आ पाना सबसे बड़ी चिंता का कारण है।
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लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील के फैसले के खिलाफ कोर्ट पहुंचा बच्चा