इस समय चीन दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली देशो में से एक है। दुनिया के लगभग 14 फीसदी व्यापार पर चीन का कब्जा है। चीन उसकी फैक्ट्रियाँ दुनिया का लगभग 28% समान बनाती है। दुनिया में कोई ऐसा प्रोडक्ट नही है, जो चरन ना बनाता हो। यदि चीन इसी गति से निर्बाध चलता रहा, तो इस सदी के अंत तक उसका दुनिया के 50 प्रतिशत व्यापार पर कब्जा हो जाएगा। आज उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी आधुनिक सेना एवं अति विशाल इंफ्रास्ट्रक्टर है। चीन के शहरों की इमारतें दुनिया में सबसे चमचमाती हुई है। उसके बैंक पैसों से लबालब भरे है, उसका फोरेक्स रिजर्व सबसे अधिक 3399 बिलियन अमेरिकन डॉलर के लगभग है। वर्तमान में चीन दुनिया का सबसे बड़ा साहूकार है। उसने 150 से अधिक देशों को 1500 बिलियन से अधिक कर्ज बाँट रखा है। जो दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों वर्ल्ड बैंक और आई एम एफ के बाँटे गए कर्ज से अधिक है। दर्जनों देश ऐसे है, जो चीन के कर्ज को लौटा नही पाएँगे। देर-सवेर उन्हें अपने देश के संसाधन एवं सत्ता में चीन के साथ समझौता करना पड़ेगा।
पिछले चालीस सालों में चीन ने विराट इंफ्रास्ट्रक्टर खड़ा कर लिया है। अब उसकी मंशा पूरी दुनिया में फैलने की है, जिसकी झलक उसकी सबसे महत्वाकांशी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव(BRI) में दिखाई देती है। यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। जिस पर 8 ट्रिलियन अमेरिकन डॉलर खर्च होने का अनुमान है। (भारत की GDP अभी 3 ट्रिलियन डॉलर से कम है) BRI योजना से एशिया, अफ्रीका, यूरोप, मिडिल ईस्ट और अमेरिका के 130 देश सीधे चीन से जुड़ जाएँगे। । यह योजना 2013 में शुरू हुई थी और इसे 2049 तक इसे पूरा होना है। CPEK भी इसी योजना का हिस्सा है। कुछ देशों में जहाँ से यह सड़क गुजरी है। उसके किनारे चीनी अपनी कॉलोनी बनाकर बसते जा रहे है।
अमेरिका को यह योजना खटक रही है। कहने को चीन इसे द्विपक्षीय व्यापारिक योजना बताता है। वास्तव में वह इसे अपना माल बेचने के लिए तैयार कर रहा है। अतः दिन दूनी, रात चौगुनी गति से बढ़ते जा रहे चीन को पहला झटका डोनाल्ड ट्रम्प ने दिया। चार साल पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने सरकार बनने के बाद चीन की संदिग्ध गतिविधियों पर ध्यान देना शुरू किया। उन्होंने पाया कि चीन और अमेरिका के बीच तकनीकी अंतर लगभग खत्म होने के कगार पर है।, इसका मतलब, कुछ सालों के बाद अमेरिका के पास कोई ऐसी तकनीकिनही बचेगी, जो चीन के पास न हो। कई क्षेत्रों में तो चीन अमेरिका से आगे निकल गया है। अब चीन को रोकना अमेरिका के लिए लाजिमी था। यदि चीन को नही रोका गया तो एक दो दशक बाद चीन का सुपरपावर बनना तय है। इसके लिए ट्रम्प ने दो काम किए, एक तो उसने अमेरिका के संवेदनशील उच्च संस्थानों से चीनीयों को भगाना शुरू कर दिया। यहा से चीनी अमेरिका की कटिंग एज टेक्नॉलॉजी की चोरी कर चीन भेज रहे थे। दूसरे चीन से आयात किए जा रहे सामानों पर भारी-भरकम टेक्स लगाकर अमेरिका ने अपनी कमाई बढ़ाई और चीन की कम करके उसे आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
अभी दोनों देशों के बीच ट्रेडवार चल ही रह था कि दुनिया के सामने कोरोना वायरस का संकट आ गया। यह वायरस प्राकृतिक है, या कृत्रिम यह बाद में साबित होगा। यह निर्विवाद सत्य है, कि इसका फैलाव चीन से हुआ है। करोना वायरस ने दुनिया में जान-माल की भारी तबाही मचाई है। 195 देशों के चार लाख के लगभग लोग मर चुके है, जिनमें सबसे अधिक अमेरिकी है। सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएँ चरमरा गई, काम-धंधे ठप्प हो गए है। कुछ अर्थ शास्त्रियों का अनुमान है कि कोरोना से दुनियाभर में 200 करोड़ लोगो का वापस गरीबी में जाना तय है।यह सभी लोग कुछ साल पहले गरीबी रेखा से बाहर निकल चुके थे।
(लेखक-अनिल खंडूजा)