नई दिल्ली । दिल्ली में कोरोना वायरस के मामलों ने जैसे ही रफ्तार पकड़ी है अब यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। सबसे अधिक चिंता है दिल्ली में कोरोना स्पेशल बेड और वेंटिलेटर की। क्योंकि जैसे-जैसे मामले बढ़ रहे हैं, वैसे ही इनकी संख्या कम होती जा रही है। अब दिल्ली सरकार की ओर से बेड की संख्या बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें कुछ अन्य प्राइवेट अस्पताल और होटलों को कोविड अस्पताल में तब्दील करने का प्लान है।
अभी की बात करें, तो दिल्ली में कुल 8821 हॉस्टिपटल बेड, 582 ICU बेड, 468 वेंटिलेटर बेड और 3590 ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बेड हैं, जो पूरी तरह से कोरोना वायरस महामारी के पीड़ितों के लिए रिजर्व हैं। लेकिन इनमें से आधे से अधिक भर भी चुके हैं। अब स्वास्थ्य विभाग की ओर से अन्य बड़े अस्पतालों और 4 स्टार, 5 स्टार होटलों को अस्थाई रूप से कोविड अस्पताल बनाने की कोशिश जारी है। इनमें बेड के खर्च की अधिकतम सीमा को 10 हजार रुपये प्रति दिन तक तय किया जा सकता है, जिसमें खाना, इलाज और हाउस कीपिंग का काम शामिल हो।अभी तक 8 ऐसे अस्पताल-होटल को जोड़ा गया है और सभी डीएम की ओर से कोशिश की जा रही है जल्द ही इसमें 19 और अस्पताल-होटलों को जोड़ा जाए। ऐसा होता है तो 15 जून तक दिल्ली में 2000 नए बेड तैयार हो जाएंगे।
इतना ही नहीं दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रगति मैदान, तालकटोरा स्टेडियम, इंदिरा गांधी इन्डोर स्टेडियम और ध्यानचंद स्टेडियम को भी मेक शिफ्ट अस्पताल के रूप में डेवलेप किया जा सकता है। ताकि अगर मरीजों की संख्या काफी हदतक बढ़ जाती है, तो स्थिति काबू में लाई जा सके। बता दें कि दिल्ली में अभी कोरोना वायरस के कुल केस की संख्या 31 हजार से अधिक है, रोज करीब एक हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बीते दिन कहा है कि यही रफ्तार रही तो दिल्ली में जुलाई के आखिर तक पांच लाख से अधिक कोरोना वायरस के केस होंगे।