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अब और नहीं ‘मेड इन चायना’ -आत्मनिर्भरता का खयाल; चीन के वजूद का सवाल...!

अब और नहीं ‘मेड इन चायना’ -आत्मनिर्भरता का खयाल; चीन के वजूद का सवाल...!

चीन को कोरोना वायरस पैदा करने का खामियाजा कब तक भुगतना पड़ेगा, इस सवाल का जवाब आज स्व्यं चीन के पास भी नहीं है, देखते-देखते कोरोना वायरस अब एक साल का होने जा रहा है, पिछले साल जुलाई माह में ही चीन ने इसे पैदा किया था और एक माह में ही यह कई देशों में फैल गया था और अब तो यह भगवान की तरह ही सर्वव्यापी हो गया है। इसने पिछले एक साल में चार लाख से ज्यादा जिंदगियाँ निगल ली है, और अब आगे और यह क्या करिश्मा दिखाने वाला है, इसका जवाब किसी के पास भी नहीं है, पूरा विश्व आज इससे भयभीत है और पूरे विश्व के देश इसका इलाज खोजने में व्यस्त हो गए है। हर कहीं यह भविष्यवाणी की जा रही है कि यह कई सालों तक रहेगा और अब तो इसीके साथ जीना सीखना पड़ेगा।
यद्यपि सभी तरह की छोटी या बड़ी बीमारियों के ‘साईड इफेक्ट्स’ होते है, इसी तरह कोरोना के भी है, किंतु अब इसका सबसे बड़ा ‘साईड इफेक्ट्स’ स्वयं इसे जन्म देने वाले चीन को भुगतन पडेगा इसी वायरस की वजह से जहां वह पूरी दुनियां के देशों से अलग-थलग कर दिया गया है, दुनियां के एक सौ साठ देश इसके दुश्मन हो गए है, वहीं विश्व की महाशक्ति अमेरिका ने भी इस कोरोना पैदा करने का खामियाजा भुगतने को मजबूर कर दिया है, अब भारत अमेरिका सहित कई देश विश्व के सामने भिखारी की तरह घुटने टेकने को इसे मजबूर करने की जुगत सोच रहे है, इसमें एक प्रमुख जुगत है चीन से सभी तरह के रिश्ते खत्म करना जिसमें व्यापारिक रिश्ते खत्म करना भी शामिल है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जहां चीन से व्यावसायिक रिश्ते खत्म करने की घोषणा कर दी है, वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने भी चीनी उत्पाद का बहिष्कार कर देश को आत्मनिर्भर बनाने का ऐलान कर दिया है। चीन से कोरोना वायरस के कारण तो भारत की गंभीर नाराजी थी ही, अब उसने इसी महामारी के दौर में हमारी सीमा पर बदनीयती दिखाना शुरू कर दिया और लद्दाख में हमारी करीब पांच किलोमीटर सीमावर्ती जमीन पर कब्जा कर लिया, जब भारत ने विरोध दर्ज कराया तो चीन ने अपनी सेना के साथ युद्ध प्रसाधन सीमा पर लाकर खड़े कर दिये और अब जब भारत ने चीन की नीयत भांप कर अपनी सैना व साज-ओ-सामान को सीमा की ओर भेजा और अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प की इस बारे में मोदी जी से बात हुई तो चीन ने भयभीत होकर अपनी सेना को सीमा से पीछे हटाया। अब भारत चीन की इस दादागिरी का स्थाई इलाज चाहता है और वह चीनी उत्पादों के भारतीय प्रवेश के बहिष्कार का फैसला होने जा रहा है। प्रधानमंत्री जी की सोच है कि अब हमें आत्मनिर्भर होकर अपने दैनंदिनी काम की वस्तुओं का स्वयं निर्माण शुरू कर देना चाहिए, जिससे कि हमें किसी भी स्थिति में चीन या जापान पर निर्भर नही रहना पड़े, इसी ‘आत्मनिर्भरता’ की कड़ी में प्रधानमंत्री का यह प्रयास है कि चीन में इन उत्पादों का निर्माण करने वाली कम्पनियां ही चीन छोड़कर भारत आ जाए और प्रधानमंत्री जी के इन्हीं प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि करीब एक हजार चीनी उत्पाद कम्पनियों ने भारत आने के प्रति सहमति व्यक्त कर दी है, भारत ने उन्हें हर तरह की सुविधाऐं देने का भी आश्वासन दे दिया है।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि पिछले दो दशकों में भारत का चीन से करीब 84 अरब डाॅलर का कारोबार बढ़ा है, हमारे त्यौहारों पर उपयोग होने वाली वस्तुओं पर चीन ने पूरी तरह कब्जा कर रखा है, इसी के साथ मोबाईल व अन्य इलेक्ट्रिकल सामान का उत्पाद भी चीन में होता है, अब प्रधानमंत्री की सक्रिय पहल के बाद वह दिन दूर नहीं जब ये सब उत्पाद हमारे देश में ही बनने लगेंगे और चीनी सामान के बहिष्कार का हमारा सपना पूरा हो जाएगा, यह सपना पिछली सरकारों ने भी कई बार देखा किंतु इसका संकल्प किसी प्रधानमंत्री ने पहली बार लिया है, इसी तरह आत्मनिर्भरता के भी कदम आधा दर्जन बार पूर्व सरकारों ने उठाये किंतु अब जैसा ठोस कदम किसी ने नहीं उठाया था।
अब केवल चीन ही नहीं कई विदेशी कम्पनियां भारत में डेरा जमाने को उत्सुक है, इस माहौल को देखकर अब लगने लगा है कि चीन के दुर्दिन दूर नही है।
 (लेखक-- ओमप्रकाश मेहता)

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