गो तस्करी कानून: दूध शिफा, घी दवा और गोश्त जहर, गाय ना काटें मुसलमान
उत्तर प्रदेश सरकार ने गोहत्या पर जो नया क़ानून लागु किया हैं बहुत ही प्रशंसनीय हैं और होगा। इस कानून का परिपालन प्रावधानों के अनुकूल हो। कारण हमारे देश में कानून के साथ कानून को तोड़ने वाले नियम बन जाते हैं।
गोहत्या पर पाबन्दी नियम के साथ नैतिकता का जुडी हैं। हम हर व्यक्ति के पीछे सी सी टी वी कैमरा तो नहीं लगा सकते हैं, एक बात निश्चित हैं मांस बिना हिंसा किये नहीं मिल सकता। हिंसाजन्य सामग्री का खाना किसी को मान्य नहीं हैं, जीवहिंसा का दोष के साथ अनेक असाध्य बीमारियों का घर हैं। एक बात यह भी जानना जरुरी हैं किएक वृद्ध जानवर भी साल भर में हजारों रुपयों का जैविक खाद बनाकर देता हैं। दूसरी बात यदि हम वृद्ध जानवरों को काटने कत्लगाह में भेजते हैं जो अनुपयोगी मान लिए जाते हैं तो क्या हम इस परम्परा को अपने अनुपयोगी और वृद्ध माँ बाप भाई बहिन, पत्नी पर भी लागु कर सकते हैं।
यूपी सरकार के नए गोकशी-गोतस्करी अध्यादेश पर कहा है कि मुसलमान गाय ना तो काटें ना तो खाएं क्योंकि इस्लाम भी इससे रोकता है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गोहत्या और गो तस्करी पर कानून को और सख्त कर दिया है। योगी सरकार ने अध्यादेश के जरिए नियम बनाया है, जिसके तहत दोषी पाए जाने वालों को 10 साल की सजा का प्रावधान है। इस्लाम कहता है कि मुसलमान गाय ना काटें और ना ही उसे खाएं। साथ ही ऐसा कोई बर्ताव भी ना करें, जिससे पड़ोसी को बुरा लगे।
जितना सम्मान गाय का हिंदुओं के घर में है, उतना ही मुसलमान के घर में भी है। जो भी सजा का प्रावधान बना हुआ है, वह बहुत बेहतर है। हमारा मजहब इस्लाम साफ कहता है कि दूध से शिफा है, मतलब फायदेमंद है। गाय का घी दवा है और गोश्त जहर है। यह इसलिए कहा गया है कि मुसलमान गाय को काटे नहीं, उसे खाए नहीं। '
'हर मुसलमान को चाहिए कि गाय की तरफ सम्मान से देखे और कोई ऐसी हरकत ना करे, जिससे बगल के पड़ोसियों को बुरा लगे।'
क्या है नया गोतस्करी कानून?
प्रस्तावित कानून के अनुसार, अगर तस्करी के लिए ले जाया जा रहा गोवंश जब्त किया जाता है तो एक साल तक उसके भरण-पोषण के खर्च की वसूली भी आरोपी से ही की जाएगी। मौजूदा कानून में गोवंश या उसके मांस को ढोने वाले वाहनों, उनके मालिकों या चालकों पर कार्रवाई को लेकर तस्वीर साफ नहीं थी। अब जब तक वाहन मालिक साबित नहीं कर देंगे कि उन्हें वाहन में प्रतिबंधित मांस की जानकारी नहीं थी, वे भी दोषी माने जाएंगे। वाहन सीज कर दिया जाएगा। इस अधिनियम के तहत सभी अपराध गैरजमानती होंगे।
लाखों का जुर्माना और जेल का प्रावधान
नए कानून में गायों को भूखा-प्यासा रखने वालों के खिलाफ भी सजा का प्रावधान है। गोवंश का जीवन को संकट में डालने या उनके अंग-भंग करने कम से कम एक साल और अधिकतम सात साल की सजा होगा। इसके अलावा उनके ऊपर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। गोवंश का जीवन खतरे में डालने की श्रेणी में उन्हें भूखा-प्यासा रखना भी शामिल किया गया है।
जब सभी धर्मग्रंथों में जीवहिंसा पाप और अपराध माना गया हैं और किसी बात कि पुष्टि तर्क के आधार पर न करे बल्कि सच को सच मानकर स्वीकार करे। यह बहुत अच्छी शुरुआत हैं। इस पहल को सम्पूर्ण भारत में लागु होना चाहिए।
वर्तमान में जो कोरोना वायरस का प्रकोप फिर से बढ़ने वाला हैं उसमे मांस, मछली, अंडा और शराब आदि का बहुत बहुमूल्य योगदान होगा और हैं।
इसलिए अंडा, मच्छली मांस शराब खाओ पियो और हिंसाजन्य वातावरण से असाध्य बीमारियां और बढ़ाओ।
(लेखक - डॉ. अरविन्द प्रेमचंद जैन)
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