YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

कोरोना महामारी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 

कोरोना महामारी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 

इस देश में कुछ लोगों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पानी पी-पीकर गालियां देने की कसमें जैसे खा रखी हो। यहां तक कि आए दिन संघ को विभाजनकारी भी बताते रहें हैं। जबकि असलियत यह हैं कि संघ देश के सभी नागरिकों को चाहे वह किसी भी मतपंथ से संबंधित हो, सम दृष्टि से देखता एवं व्यवहार करता हैं। इसका उदाहरण तब देखने को मिलता हैं, जब देश में कोई संकट, प्राकृतिक आपदा आती हैं या भयावह दुर्घटना घटती हैं। चाहेे कच्छ का भूकंप हो, चेन्नई की सुनामी हो या चरखी-दादरी की दुर्घटना हो, संघ निस्पृह एवं समान भाव से सभी वर्गों एवं समुदायों की सेवा जी-जान से करता रहा है। वर्तमान में कोरोना महामारी में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीब पांच लाख स्वयंसेवकों ने कश्मीर से कन्याकुमारी और अरूणाचंल प्रदेश से भुज तक अपने अनुसागिंक संगठन सेवा भारती के माध्यम से 1 करोड़ 20 लाख से ज्यादा परिवारों को राशन के किट पहुचाए गए। 7 करोड़ 25 लाख के करीब भोजन के पैकेट्स संघ के स्वयंसेवकों द्वारा जरूरतमंदों को बांटे गए। करीब 70 लाख लोगों को मास्क वितरित किया गया। इतना ही नही करीब 50 लाख युनिट रक्तदान भी कोरोना संक्रमित व्यक्तियों को संघ के स्वयंसेवको द्वारा किया गया। करीब 90 हजार केन्द्रों के माध्यम से ढाई करोड़ प्रवासी मजदूरों को भोजन एवं सवा लाख मजदूरों को औषधि एवं चिकित्सा उपलब्ध कराई गई। संघ की सर्वस्पर्शी एवं सर्वव्यापी दृष्टि के चलते घूमंतु जनजातियों, धार्मिक स्थानों पर श्रध्दालुओं पर निर्भर रहने वाले बंदरों, गौवंश और दुसरे सभी जरूरतमंद पशु-पक्षियों को भोजन एवं पानी उपलब्ध कराने का अथक प्रयास संघ द्वारा किया गया। यहां तक कि बडे़ नगरों में लाॅकडाउन में फंसे छात्रों को घर तक पहुंचने में सहायता संघ द्वारा सक्रिय रूप से की गई । पूर्वाचंल के छात्रों की विशेष चिंता करते हुए उनके लिए हेल्पलाईन नम्बर तक की व्यवस्था की गई। धार्मिक स्थानों पर भिक्षावृत्ति करने वाले भी संघ के सेवा कार्य से वंचित नही रहे। संघ के स्वयंसेवकों द्वारा संक्रमित बस्तियों तक में जाकर जरूरतमंदों को सहायता पहुचाई गई, पुणे जैसे जगह में रेड़ जोन में जाकर 1 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई। आगे बढ़कर भीड़ को नियंत्रित करने, घर वापस जाने वाले श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन करने का कार्य भी संघ के स्वयंसेवको द्वारा किया गया। यहां तके कि जब केजरीवाल सरकार के रवैये और अफवाहों के चलते अप्रैल माह में दिल्ली के  आनन्द विहार स्टेशन के पास घरों को वापस जाने के लिए लाखों लोगों की भीड़ जमा हो गई तो उत्तरप्रदेश सरकार के सहयोग से पांच हजार बसों की व्यवस्था कर लोंगों को घर-घर तक पहुंचाने का काम संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किया गया। महाराष्ट्र एवं गुजरात से आये लाखों-लाख श्रमिकों को उत्तरप्रदेश की सीमा तक संघ द्वारा पहुंचाया गया। पचास लाख से ज्यादा श्रमिकों को पूरे आइसोलेशन एवं डिस्टेंस के साथ घरों तक पहुंचाना बडी उपलब्धि कही जा सकती हैं। संघ द्वारा करीब डेढ़ लाख लोगों के लिए अस्थायी तौर पर स्टे होम की व्यवस्था की गई। कोरोना के सतत् संक्रमण के चलते संघ का यह सेवा कार्य कही रूका नही हैं और सतत् चालू हैं।
हाल में बंगाल में आए चक्रवाती अम्फान तूफान द्वारा तबाही मचाने पर वहां संघ के स्वयंसेवक लोगों की मदद करते और रास्तों से मलबा हटाते देखे गए। उसके भी पूर्व जब मुम्बई में फंसे बंगाली मुसलमानोें की पुलिस द्वारा सहायता करने से इंकार कर दिया गया, तब उन्हें संघ द्वारा ही सहायता पहुुंचाई गई। बंगाल के एक एन.जी.ओ. ने ट्वीट् कर इस बात की भी तारीफ भी की थी। स्वतः भारतीय टेस्ट टीम (क्रिकेट) के कप्तान विराट कोहली सेवा भारती के सेवा कार्यों की भूरि-भूरि सराहना कर चुके हैं। संघ के स्वयंसेवकों ने कई मौंको पर ऐसे शवों को उठाकर उनका अंतिम संस्कार किया हैं, जिन्हें छूने के लिए कोई तैयार नही होता था। जहां बहुत सारे संगठन और व्यक्ति झूठी वाहवाही और दिखावे के लिए सेवा कार्य करने का बहाना करते हैं, वही संघ के स्वयंसेवक किसी किस्म के प्रचार से दूर दूर-दराज एवं बीहड़ जंगलों में जाकर सेवा कार्य को अंजाम देते हैं। सिर्फ सेवा कार्य ही नही, देश पर आक्रमण के समय भी संघ के स्वयंसेवक देश की सुरक्षा के लिए कोई खतरा उठाने को तैयार रहते है। 1948 में जब पाकिस्तानी के काबालियों ने कश्मीर पर हमला किया और श्रीनगर हवाई अड्डे में बम फेक दिए, तब उन्हे निरापद कैसे बनाया जाए-ताकि भारतीय वायु सेना के विमान वहां उतर सके। तब संघ के स्वयंसेवकों ने अपने जानों की बाजी लगाकर उन बमों को हटाया था, जिसमें कुछ स्वयंसेवक शहीद भी हो गए थे। तभी वहा पर भारतीय वायु सेना के विमान उतर सके थे, जिनमें सैनिक श्रीनगर पहुंचकर पाकिस्तानी हमलावरों को भगा सके थे। इस तरह से संघ विरोधियों की आखे खुल जानी चाहिए। पर विडम्बना यह कि जिनकी राजनीति ही संघ विरोध पर चल रही हैं, उनकी मजबूरी को भी समझा जा सकता हैं।
(लेखक - वीरेन्द्र सिंह परिहार)

Related Posts