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लॉकडाउन के बाद बदलती पृष्ठभूमि 

लॉकडाउन के बाद बदलती पृष्ठभूमि 

कोरोना महामारी को रोकने की दिशा में देश में किये गये लॉकडाउन से आम जिंदगी एक बार थम सी गई। सबसे ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव प्रवासी मजदूरों पर पड़ा जिनके काम धंधे बंद होने से वे अपने गृह प्रदेश की ओर जाने को मजबूर हो गये । लॉकडाउन में जब सभी तरह के आवागमन के साधन बंद हो गये हो, उस हालात में पैदल ही हजारों किलोमीटर की दूरी तय करने की मानसिकता लिये सड़क पर उतर आये। जहां तेज गर्मी, धूप,, वर्षा जैसी विकट स्थिति सामने खड़ी है, भूखे - प्यासे अपने नन्हें - नन्हें बच्चों, बूढ़े माता - पिता के साथ अपने घर की ओर चल पड़े। उन्हें मालूम नहीं कि यह सफर वे पूरा कर भी पायेंगे कि नहीं फिर भी विकट रास्तें पर निकल पड़ें। जब कोई यातायात का साधन कहीं दिखाई देता, उधर चल पड़ते। इनके हालात को देख किसी को भी रोना आ जाय। निश्चित तौर पर इनके सामने लाॅकडाउन बंद होने के दौरान ऐसी विषम परिस्थितियां उभरी होगी जिसके कारण इस तरह के गंभीर हालात जहां कोरोना का कहर भयानक रूप ले चुका हो, आने जाने के संसाधन बंद हो गये हो, रास्तें में अनेक तरह की विकट परिस्थितियों मुंह बाये खड़ी हो, घर लौटने को मजबूर हो गये हो। इस तरह की बदलती पृष्ठभूमि निश्चित तौर पर व्यवस्था के सामने प्रश्न बनकर खड़ी है जहां समाधान कम राजनीति ज्यादा उभरती नजर आ रही है।
लॉकडाउन के पांचवें चरण के बाद जैसे ही सरकार ने आमजन जीवन को सामान्य करने की दिशा में सुरक्षित रहने की दिशा निर्देशों के साथ कुछ राहत देने की कोशिश की तो आम जन ने राहत की सांसे जरूर ली पर कोरोना संक्रमण के आकड़ें में गिरावट के बदले वृद्धि ही पाई गई जो सभी के लिये चिंता का विषय बन गई है। लॉकडाउन के बाद की बदली पृष्ठिभूमि जहां रेल एवं हवाईमार्ग की यात्राएं चालू करने के बाद की स्थिति ज्यादा भयावह होती जा रही है जहां हर जगह कोरोना मामले बढ़ते ही नजर आ रहे है। इस उभरी परिस्थिति में राजस्थान प्रदेश की सरकार ने फिर से 7 दिनों के लिये प्रदेश सीमा को सील कर दिया जहां बाहर से प्रदेश में आने एवं प्रदेश से बाहर जाने पर सरकार ने तत्काल प्रतिबंद लगा दिया है। इस तरह की स्थिति अन्य राज्यों में भी पैदा न हो जाय कुछ कहा नहीं जा सकता । दिल्ली राज्य में भी कोरोना के मामले लाॅकडाउन बंद होने के बाद बढ़ते ही जा रहे है जो सामुदायिक फैलाव का स्वरूप धारण कर चुके है पर सरकार अभी मानने को तैयार नहीं हो रही । दिल्ली सरकार द्वारा वर्तमान में जुलाई माह के अंत तक  प्रदेश में कोरोना संक्रमण होने के अनुमानित आकड़ें करीब साढ़े पांच लाख के आस - पास हो जाने का बताया जाना निश्चित तौर पर खौफ पैदा कर रहा है। इस तरह के हालात यदि देश के अन्य राज्यों में भी उभरते है तो लॉकडाउन फिर से लागू न हो जाय, कुछ कहा नहीं जा सकता। पर इस तरह के उभरते हालात में फिलहाल सरकार कोरोना के संग जीने की बात करते हुए बंद लाॅकडाउन के द्वार खोल चुकी है। जहां दिशा निर्देश के साथ धीरे - धीरे हर बंद दरवाजे को खोलती जा रही है। इस तरह के परिवेश में आमजन द्वारा बरती लापरवाही फिर से कोरोना संकट को बढ़ा सकती है। कोरोना संकट से न तो देश अभी मुक्त हुआ है न ही इससे बचाव का कोई अभी टीका ही फिर भी भगदड़ जालू हो गई है। देश में आवाजाही भी फिलहाल कोरोना संक्रमण के आकड़े बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रही है। आखिर कब तक कोरोना के डर से बंद के हालात बनते रहेंगे। इस परिवेश में सभी को मिलकर हल निकालना होगा जिससे कोरोना पसरे नहीं एवं देश पूर्वतः चलता रहे।
अभी हाल ही में सर्वोच्य न्यायालय ने प्रवासी मजदूरांे को लेकर अपना महत्वपूर्ण निर्णय दिया है कि प्रवासी मजदूरो को उनके अपने घर जाने की सुरक्षित व्यवस्था सरकार करे एवं गृह प्रदेश सरकार उनके रोजगार देने की व्यवस्था करे। इस तरह के आदेश बेहतर तो है पर जो प्रवासी मजदूर अपने घर को लौट रहे है, उनके नहीं रहने से प्रदेश के रोजगार जगत पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।  
(लेखक - डॉ. भरत मिश्र प्राची)

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