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(ज्वलंत मुद्दा) भूलकर भी गलती न करें नेपाल 

(ज्वलंत मुद्दा) भूलकर भी गलती न करें नेपाल 

आजकल चीन के बहकावे में आकर नेपाल भारत के प्रति कुछ तल्ख रवैया अपना रहा है। कभी भारत के भू भाग को दर्शाता नेपाल का गलत नक्शा जारी करता है तो कभी अपने वजूद को भूल भारत को धमकी देने की कोशिश करता है।शायद नेपाल भूल गया है कि नेपाल किसी का सगा नही है।  तिब्बत इसका एक बड़ा उदाहरण है। एक तरफ नेपाल व दूसरी तरफ पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन भारत को चुनौती देना चाहता था। चीन द्वारा भारत के भू भाग में अतिक्रमण करने की भी कौशिश की गई। लेकिन अंततः उसे अपने कदम पीछे हटाने ही पड़े।नेपाल भूल रहा है कि उसका हित केवल ओर केवल भारत के साथी ही सुरक्षित है।
 नेपाल  भारत का पडौसी देश तो है ही, लेकिन नेपाल और भारत के बीच आने जाने के लिए व्याप्त कानूनी सुगमता नेपाल को भारत के सबसे करीब लाती है। सच पूछिए तो लगता ही नही भारत से कब नेपाल मे चले जाते है और कब लौट आते है। पता ही नही चलता । यही स्तिथि भारत मे नेपालियों के लिए भी है। इससे भी दो कदम आगे बढ़कर दोनो देशो के लोगो ने आपस मे रोटी बेटी का रिश्ता कायम कर रही सही दूरी को भी समाप्त प्राय किया है। नेपाल के वीर गजं के व्यापारी शिव गोयल कई पीढ़ियों पहले हरियाणा के हिसार से नेपाल आ बसे थे, तो भी उनकी शादी नेपाल के बजाए भारत की बेटी से ही हुईं। उनकी पत्नी बिहार के खगडिया की है। उनके बच्चों की ननिहाल भारत मे होने से उनका नेपाल और भारत से बराबर का रिश्ता बन गया है। इसी प्रकार त्रिभुवन विश्व विद्यालय काठमांडू के केन्दीय हिन्दी विभाग की प्रोफेसर डा श्वेता दीप्ति भी भारत की बेटी और नेपाल की बहु है।                     वे भी बिहार मे जन्मी व पली बढ़ी है लेकिन ससुराल नेपाल मे होने से उनके दिल मे भी भारत और नेपाल दोनो बसते है।इसी प्रकार नेपाल की अनेक बेटिया भारत में बहु बनकर आई हुई है जिनके कारण भारत व नेपाल के बीच सामाजिक रिश्ते प्रगाढ़ हुए है।वही नेपाल की आर्थिकी भी भारत के विशाल बाजार पर निर्भर है।केरलिफोनिया का बादाम,चीन की काली मिर्च,छोटी इलायची,तेजपात,सोंफ,जीरा समेत सभी मशालो को दुनियाभर के देशो से नेपाल लाकर ही भारत मे सप्लाई किया जाता है।जिसका एक बड़ा कारण यहां वस्तुओ के आयात निर्यात पर टैक्स न के बराबर है।जबकि भारत मे यह टैक्स यहां से कई गुना है।टैक्स कम होने के बावजूद नेपाल को एक बड़ी आमदनी मशालो के कारोबार से होती है।इसी प्रकार नेपाल मे सोने की गुणवत्ता अधिक व कीमत भारत से कम होने के कारण सोने की खरीद फरोख्त भारतीय लोग बहुतायत मे करते है।उच्च शिक्षा,बेहतर स्वास्थ्य सेवाओ और नोकरियो के लिए भी नेपाल भारत पर अधिकांशत निर्भर है।नेपाल मे उच्च शिक्षण संस्थान बहुत कम है,अच्छे अस्पतालों की भी कमी है और नोकरियो के अवसर भी बहुत कम है।साथ ही यहाँ व्याप्त माओवाद और क्षेत्रीय स्तर के मतभेद नेपाल की प्रगति मे बाधक है।लम्बे समय तो राजशाही व्यवस्था मे रहा नेपाल हालांकि अब लोकतांत्रिक व्यवस्था मे है तो भी विकास के मामले मे यह देश बहुत पिछड़ा हुआ कहा जा सकता है।नेपाल को देखकर लगता है कि जैसे वह कम से कम तीस साल पहले का भारत हो।मीडिया की दृष्टि से भी नेपाल भारत से बहुत कमजोर है।हालांकि सामान्यत नेपाल एक शांत और बहुत छोटा देश है। नेपाल मे सात प्रांत और 77 जिले है ।नेपाल के वाहनों का पंजीकरण नेपाल की नदियो के नाम पर किया गया है।नेपाल के वीर गजं को बागमती नदी के नाम से अंचल के रूप मे घोषित किया गया है।इसीप्रकार नारायणी नदी,राप्ति नदी,कोसी नदी आदि नदियो के नाम पर नेपाल के अंचलो के नाम है।वीर गजं जो कि जनकनगर जनपद का भाग है के प्रवेश द्वार यानि भारत नेपाल सीमा पर वास्तुकला से सुसज्जित भव्य नेपाल द्वार है जिस पर सर्वे भवन्तु सुखिनः मन्त्र को लिपिबद्ध किया गया है।लेकिन नेपाल व भारत मे भारत नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा  बदहाल हालत मे है।भारत का सीमावर्ती आखिरी रेलवे स्टेशन रक्सौल मे व्याप्त गन्दगी,सड़को मे बडे बड़े गढ्ढे ,यात्रियों के लिए सुविधाओ की कमी बेहद खलती है।भारत नेपाल सीमा पर दोनो देशो की करेंसी बदलने के लिए दलालो की खुली मण्डी है जो कमीशन लेकर करेंसी बदलने का काम करते है।दोनो देशो की सीमाओ को जोड़ता सरिसवा नदी का पुल गहरे गहरे गढ्ढे के रूप मे पर्यटको का स्वागत करता है।अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कराने के लिए सुरक्षा कर्मी खुले आम घुस लेते देखे जा सकते है।नेपाल जाने के लिए सीमा पार करने के लिए बैटरी रिक्शा और पुराने जमाने के घोड़े टांगे ही एक मात्र सहारा है।नेपाल के कई प्रान्तों का तो अभी तक नामकरण भी नही हो पाया है।फिर भी कहा जा सकता है कि नेपाल भारत के प्रबल सहयोग से धीरे धीरे विकास की पटरी पर चल रहा है जो एक सुखद संकेत है लेकिन भारत के सहयोग के बिना नेपाल की खुशहाली सम्भव नही है।यह अकाटय सत्य भी नेेेपाल को स्वीकार करना होगा।ऐसे में यदि नेपाल ,चीन के हाथों गुमराह होता है तो नेपाल को बर्बाद होते देर नही लगेगी।जबकि  नेपाल के हित भारत के साथ पूरी तरह से सुरक्षित है ओर रहेगें।
(लेखक-डा श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट )

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