हरिद्वार, 15 जून। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगऋषि स्वामी रामदेव एवं यशस्वी कुलपति आचार्य बालकृष्ण की सद्प्रेरणा से छठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में ‘मानसिक-शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता के लिए योग, आयुर्वेद एवं अन्य भारतीय पद्धतियाँ’ विषय पर पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार के माध्यम से सात दिवसीय (15 से 21 जून 2020) भव्य योग सप्ताह का प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति एवं आज के सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. महावीर के उद्बोधन से हुआ। इस अवसर पर डॉ. महावीर ने वैदिक संस्कृति एवं वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी उपयोगिता का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों, शोधार्थियों, योग साधकों से इस लाईव सत्र में जुड़ने का आह्नान किया एवं कोरोना जैसे महारोग से लड़ने के लिए आयुर्वेद एवं योग के प्रयोग पर भी प्रकाश डाला। सहायक कुलानुशासक तथा इस कार्यक्रम के संयोजक स्वामी परमार्थदेव ने आज के लाईव सत्र के सभी मूर्धन्य वक्ताओं का स्वागत एवं परिचय कराते हुए कार्यक्रम की सम्पूर्ण रूपरेखा प्रस्तुत की। साथ ही योगमय जीवन जीने की कला का परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि तन, मन से लेकर वतन की आरोग्यता के सूत्र योग में समाहित हैं। उन्होंने बताया कि उक्त कार्यक्रम में कुल 30 सत्र रखे गए हैं जिनमें प्रतिदिन 5 सत्र होंगे तथा कार्यक्रम का समापन 21 जून, छठवें विश्व योग दिवस के अवसर पर पूज्य योगऋषि स्वामी के पावन सान्निध्य में योेगाभ्यास एवं आशीर्वाद सत्र से सम्पन्न होगा। कार्यक्रम में देश के ख्यातिलब्ध प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ एवं योगग्राम-निरामयम के निदेशक डॉ. नागेन्द्र कुमार ‘नीरज’ ने प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने पर अपने महत्वपूर्ण अनुभव साझा करते हुए हमारे जीवन में आहार-विहार, विचार, व्यवहार एवं संस्कार की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए उन्होंने उपयुक्त आहार, निद्रा, योगाभ्यास, सकारात्मक विचार आदि को महत्वपूर्ण साधन बताया। विषाणु एवं प्रतिरोधक तंत्र को समझाते हुए उन्होंने अंकुरित अन्न, सिट्रस फ्रूट्स, ब्रोक्ली आदि को अपने दैनिक आहार में सम्मिलित करने की सलाह दी। कार्यक्रम के अगले सत्र में संगीत विभाग के शिक्षक चन्द्रमोहन मिश्रा ने मानसिक शांति के लिए विभिन्न राग का सैद्धान्तिक परिचय कराते हुए उसकी प्रायोगिक प्रस्तुति भी दी। श्री मिश्रा ने डायबिटीज के लिए राग बागेश्वरी, निम्न रक्तचाप के लिए राग मालकोश, हृदय रोग के लिए राग चन्द्रकोश तथा तनावमुक्ति हेतु राग दरबारी का श्रवण अतिलाभकारी बताया। ‘तेरी हर मुश्किल आसान, मिले जब ये गुरु से ज्ञान’ भजन की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में उपस्थित महानुभावों का मन मोह लिया। चैथे सत्र में आईआईटी रूड़की के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष डॉ. वीके कटियार ने विषाणु संक्रमण में प्राणायाम की उपयोगिता तथा श्वसन यांत्रिकी की वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि विषाणु संक्रमण की रोकथाम में स्वामी महाराज द्वारा बताए गए प्राणायाम- भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी आदि का नियमित अभ्यास अत्यंत उपयोगी है। अपने उद्बोधन में उन्होंने श्वसन के नियमन में तंत्रिका तंत्र की भूमिका एवं श्वसन तकनीक के चार चरण- पूरक, अंतः कुम्भक, रेचक एवं बाह्य कुम्भक पर चर्चा के साथ श्वसन की जटिल वैज्ञानिक प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से समझाया। इस अवसर पर बीए एवं बीएससी प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने भी अपने उत्कृष्ट योग प्रदर्शन का वीडियो साझा किया। योग सप्ताह के प्रथम दिवस पर पतंजलि विश्वविद्यालय सहित अनेक शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों व योग साधकों ने सहभागिता की। कार्यक्रम संयोजन में स्वामी सोमदेव, डॉ. नरेन्द्र, डॉ. अभिषेक, श्री कपिल, श्री मनीष ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।
रीजनल नार्थ
पतंजलि विश्वविद्यालय के तत्वावधान में सात दिवसीय भव्य योग सप्ताह का शुभारंभ