नई दिल्ली । तलाक के लिए पहले कानूनी प्रक्रिया में सालों लग जाते थे, लेकिन अब कोरोना संकट के दौर में राजधानी दिल्ली में एक ऐसा तलाक हुआ है जिसमें दोनों पक्षों को कोर्ट जाने की भी जरूरत नहीं पड़ी और अलगाव हो गया। यह तलाक ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुआ है। इस वर्चुअल तलाक में दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई थी। ये वर्चुअल तलाक दिल्ली के रोहिणी कोर्ट की फैमिली कोर्ट की तरफ से कराया गया है। दोनों की शादी मई 2017 में हुई थी, लेकिन कुछ महीने के बाद ही पति-पत्नी में अनबन होने के कारण दोनों ही दिसंबर 2018 से अलग-अलग रहने लगे। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक शादी के बाद अगर पति-पत्नी 1 साल से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं तो परस्पर सहमति के आधार पर हो तलाक की अर्जी लगा सकते हैं। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 13 बी (2) के तहत दोनों की तरफ से 2019 में तला की अर्जी लगा दी गई। दोनों पक्षों की तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई थी। तलाक के मामलों में अक्सर जैसे एक-दूसरे के परिवार और रिश्तेदारों पर आरोप-प्रत्यारोप होते हैं, वहीं इस मामले में ऐसे कोई आरोप कोर्ट में दर्ज नहीं कराए गए थे तलाक देने के दौरान कोर्ट ने दिए अपने आदेश में साफ कर दिया कि स्त्री धन और मेंटेनेंस से जुड़े मामलों में दोनों पक्ष पहले ही कोर्ट से बाहर आपसी बातचीत से चीजें तय कर चुके हैं। तलाक लेने के बाद इस आधार पर दोनों एक दूसरे के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं डालेंगे। इसके अलावा एक दूसरे के परिवार के खिलाफ कोर्ट में तलाक और शादी से जुड़े मामले में याचिका नहीं लगाई जाएगी।
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दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पहला तलाक