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 दिल्ली और गाजियाबाद के मरीज नोएडा में नहीं करा सकेंगे कोविड-19 जांच

 दिल्ली और गाजियाबाद के मरीज नोएडा में नहीं करा सकेंगे कोविड-19 जांच

गाजियाबाद । गौतमबुद्ध नगर में दूसरे जिलों के कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच बंद कर दी गई है। इससे नोएडा के बॉर्डर से सटे गाजियाबाद और दिल्ली के लोग यहां कोरोना संक्रमण की जांच नहीं करा सकेंगे। नोएडा सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में इंदिरापुरम से आए संदिग्ध मरीज को यह कहकर नमूने जांच के लिए नहीं लिए गए कि वह गाजियाबाद में रहते हैं।
अस्पताल का कहना था कि हमें सिर्फ गौतमबुद्ध नगर के ही संदिग्ध मरीजों की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। नोएडा से सटे गाजियाबाद के इंदिरापुरम, वसुंधरा, खोड़ा और दिल्ली के मयूर विहार, अशोक नगर, के ज्यादातर मरीज नोएडा के अस्पतालों में इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण की जांच बंद होने के कारण इन स्थानों पर रहने वाले लोगों की परेशानी बढ़ गई है। इंदिरापुरम से 40 वर्षीय एक संदिग्ध मरीज फोर्टिस अस्पताल पहुंचा। मरीज पंजीकरण के बाद जब डॉक्टर के पास पहुंचा तो उसका आधार कार्ड देखकर डॉक्टर ने उसके नमूने लेने से मना कर दिया। उसका पता गाजियाबाद का था। उसमें कोरोना संक्रमण के लक्षण होने के बावजूद उसके नमूने जांच के लिए नहीं लिए गए। इसी तरह ग्रेटर नोएडा और नोएडा के निजी जांच केंद्रों में दूसरे जिले और राज्यों के मरीजों के नमूने नहीं लिए गए। वहीं, जिला अस्पताल, जिम्स, सेक्टर-39 नए जिला अस्पताल में भी दूसरे जिलों के लोगों के नमूने नहीं लिए गए। 13 जून तक दूसरे जिलों और राज्यों के नमूने जांच के लिए नोएडा में लिए गए थे। पहले दूसरे जिले और राज्यों के एक हजार से अधिक लोगों के नमूने जिले में लिए गए जिनमें से 69 लोग संक्रमित मिले। इनमें से ज्यादातर मरीजों का इलाज यहीं हुआ, लेकिन अब जांच बंद होने से दूसरी जगहों के लोगों की परेशानी बढ़ेगी। क्रॉस नोटिफाइड मरीजों को लेकर प्रदेश और जिला प्रशासन के आंकड़े भी एक नहीं हैं। जिला प्रशासन को शासन ने कई बार पत्र लिखकर इसकी जानकारी भी मांगी। इसके बावजूद अभी तक क्रॉस नोटिफाइड मरीजों की संख्या प्रदेश और जिले में एक जैसी नहीं हुई है। पहले ही स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमण की स्थिति में अपने-अपने जिलों में इलाज कराने के निर्देश दिए हैं। अगर कोई कोरोना संक्रमित मरीज गाजियाबाद का है तो वह उसी जिले के अस्पताल आपातकालीन स्थिति को छोड़कर में भर्ती होकर बीमारी का इलाज करा सकता है। मरीजों की पहचान आधार कार्ड पर लिख पते के अनुसार की जाती है। ऐसे में कई ऐसे लोगों को परेशानी आ सकती है जिन्होंने नोएडा या ग्रेटर नोएडा में रहने के बाद आधार कार्ड पर नया पता अपडेट नहीं कराया है। 
 

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